नीमच से राजेश भंडारी

* खुद केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति की 85 प्रतिशत से अधिक अविलम्ब मूल्य वृद्धि की अनुशंसा को साढ़े छह साल से अनदेखा कर अफीम उत्पादकों के साथ घोर अन्याय कर रही है भाजपा सरकार
* अफीम और डोडों के मूल्यों में अविलम्ब लागत वृद्धि के अनुपात में बढ़ोतरी और अफीम फसल को बीमा योजना में शरीक करने की भी मांग ।।

नीमच । नीमच जिला युवा काँग्रेस अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह राठौड़ भाटखेड़ा  ने यहां जारी एक बयान में अफीम उत्पादकों द्वारा अफीम और बिना चीरा लगे डोडों के खरीद मूल्यों में वृद्धि की मांग को सर्वथा न्याय संगत बताते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री से हाल के सालों में बढ़ी हुई फसल लागत के अनुपात में अविलम्ब उचित क्रय मूल्य वृद्धि की मांग की है । उन्होंने कहा कि , यह शर्मनाक है कि खुद सरकार द्वारा नामित समिति की अविलम्ब मूल्य वृद्धि की अनुशंसा को भी साढ़े छह साल से अनदेखा कर अन्याय किया जा रहा है ।
श्री राठौड़ ने कहा कि , भाजपा सरकार ने पिछली बार वर्ष 2014 - 15 में अफीम के दाम ग्यारह अलग - अलग स्लैब में बढ़ाए थे । इसके अनुसार , प्रति हेक्टेयर 44 किलो औसत अफीम देने पर 870 रु प्रति किलोग्राम , 44 से 52 किलोग्राम औसत पर 1000 रु , 52 से 56 किलोग्राम औसत पर 1390 रु , 60 से 65 किलोग्राम औसत पर 1740 रु , 65 से 70 किलोग्राम औसत पर 1875 रु , 70 से 75 किलोग्राम औसत पर 2050 रु और 75 से 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर औसत पर 2250 रु प्रति किलोग्राम देना तय किया गया था ।
इसी प्रकार , 80 से 85 किलोग्राम औसत पर 2500 रु , 85 से 90 किलोग्राम औसत पर 3000 रु और 90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर औसत से अधिक अफीम देने पर प्रति किलो 3500 रु के हिसाब से क्रय मूल्य तय किये गए थे । इस तरह  11 स्लैब में औसत उत्पादन के आधार पर न्यूनतम 870 रु प्रति किलो ग्राम से अधिकतम 3500 रु प्रति किलोग्राम तक मूल्य निर्धारण किये गए थे । इसके बाद लगभग सात सालों से अफीम के दामों में एक धेले की भी बढ़ोतरी नहीं कि गई है 
श्री राठौड़ ने कहा कि , भाजपा द्वारा यह भ्रामक प्रचार किया जाता है कि अफीम उत्पादकों को 3500 रु प्रति किलोग्राम के हिसाब से मूल्य तय किये गए है । हकीकत यह है कि , लगभग 80 प्रतिशत किसानो द्वारा सरकार को दी जाने वाली अफीम का औसत 56 से 70 किलोग्राम के बीच ही रहता है । बाकी के 20 प्रतिशत किसान 44 से 56 किलोग्राम तक का औसत उत्पादन ही कर पाते है । इससे स्पष्ट है कि वास्तव में किसानों को 870 से 1875 रु प्रति किलोग्राम तक ही भुगतान मिल पाता है और 2250 से 3500 रु प्रति किलोग्राम की कीमत केवल स्लैब चार्ट में दिखावे के लिए ही दर्ज है ।
श्री राठौर ने कहा कि खरीद मूल्यों की स्थिरता तथा 1 अप्रैल 2016 से डोडाचूरा व्यापार पर प्रतिबंध से आय के एक अन्य स्रोत के कम हो जाने और दूसरी तरफ अफीम फसल उत्पादन लागत में लगातार वृद्धि के कारण बिगड़े समीकरणों के मद्देनजर अफीम के क्रय मूल्य में बढ़ोतरी की मांग किसानों द्वारा लगातार की जा रही है । केंद्रीय राजस्व विभाग के व्यय सेक्शन ने अफीम के क्रय मूल्य की वृद्धि के लिए एक समिति गठित की थी 
समिति ने अफीम उत्पादन से जुड़े सभी पहलुओं , बाजार की स्थिति एवं लागत वृद्धि तथा डोडाचूरा कारोबार पर रोक से होने वाले नुकसान का समावेश करते हुए अक्टूबर 2016 में ही अपनी अनुशंसा सरकार को सौंपते हुए अविलंब प्रत्येक स्लैब में 85 से 87 प्रतिशत तक वृद्धि की अनुशंसा कर दी थी । श्री राठौड़ ने कहा कि अपने आप को किसानों का हितैषी बताने वाली भाजपा सरकार ने शर्मनाक रवैया अपनाते हुए अभी तक समिति द्वारा अनुशंसित 85 से 87 प्रतिशत की वृद्धि भी लागू नहीं की है । इसी कारण से किसानों को वर्ष 2023 को मिला का सात अफीम सीजन से प्रति वर्ष लगभग 25 करोड़ रु का कम भुगतान प्राप्त हो रहा है ।
श्री राठौड़ ने कहा कि , समिति द्वारा वर्ष 2016 में रिपोर्ट सौंपने के बाद गुजरे सालों में भी लागत मूल्यों में और वृद्धि हो चुकी है । इसलिए  समिति द्वारा पूर्व अनुशंसित 85 से 87 प्रतिशत तक की वृद्धि भी अब उपयुक्त नहीं होकर  वास्तव में मौजूदा दरों में कम से कम तीन सौ प्रतिशत की वृद्धि इसी साल से लागू की जानी चाहिए और अफीम उत्पादकों को इसी अनुपात में भुगतान किया जाना चाहिए ।
श्री राठौड़ ने कहा कि , सीपीएस पद्धति के अंतर्गत बिना चीरा लगे डोडों का क्रय मूल्य सरकार ने 200 रू प्रति किलोग्राम तय किया है जो बिल्कुल अनुचित है । लागत वृद्धि के अलावा चीरा नहीं लगाने से पोस्ता दाना की मात्रा भी कम बैठ रही है । इस लिहाज से डोडों के मूल्यों में भी चार से पांच गुना वृद्धि इसी सीजन से की जानी चाहिए । श्री राठौड़ ने अफीम फसल को अविलम्ब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शरीक करने और अभी तक प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान के बदले राज्य शासन से विशेष पैकेज के माध्यम से मुआवजा देने की भी मांग की है ।