राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र और वीरता पुरस्कार को मंजूरी दे दी है. इसमें उदयपुर के लिए गौरव की बात यह है कि शहीद मेजर मुस्तफा बोहरा को मरणोपरांत शौर्य चक्र दिया जाएगा. उन्होंने अपनी जिंदगी परवाह नहीं करते हुए कई लोगों की जिंदगी बचा ली थी. जब उनका हेलीकॉप्टर क्रैश होने वाला था तो वे उसे आबादी क्षेत्र से दूर ले गए. वह हेलीकॉप्टर से छलांग लगाकर बच सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने प्राणों की आहूति देकर हजारों लोगों की जिदंगी बचाना चुना. मेजर मुस्तफा का नाम 'शौर्य चक्र' के लिए चुने जाने पर उनके परिवार को गर्व है.जानिए क्या घटना थी और क्या कहा परिवार ने.

केंद्र सरकार की ओर से शौर्य चक्र के लिए जारी किए गए पत्र में मेजर मुस्तफा के शौर्य के बारे में बताया गया है.उसके मुताबिक 21 अक्टूबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश में बॉर्डर एरिया पर इंटेलीजेंस सर्विलांस मिशन के लिए रूद्र हेलिकॉप्टर से मेजर मुस्तफा बोहरा और मेजर विकास ने उड़ान भरी थी.मेजर विकास पायलट और मेजर मुस्तफा को-पायलट थे. 

मिशन पूरा कर जब वे बेस पर लौट रहे थे, तब बॉर्डर से पहले उनके हेलिकॉप्टर में आग लग गई. उन दोनों ने हेलिकॉप्टर क्रैश होने के लिए जमीन देखी तो वह एक रिहायशी इलाका था. वहां बॉर्डर नजदीक होने के चलते सेना का काफी असलहा भी रखा हुआ था. खुद के जीवन की रक्षा के लिए दोनों हेलिकॉप्टर से इमरजेंसी एग्जिट कर सकते थे,लेकिन तब वह हेलिकॉप्टर रिहायशी इलाके में गिरकर क्रैश होता.वहां सेना का असलहा भी रखा था. इससे बड़ी जनहानि हो सकती थी.हेलिकॉप्टर के क्रैश होने के अंतिम समय में मेजर मुस्तफा बोहरा और मेजर विकास ने हेलिकॉप्टर को उस जगह क्रैश नहीं होने दिया. वे हेलीकॉप्टर को घुमा कर दूर ले गए और हेलीकॉप्टर में हवा में ही आग लग गई और वे शहीद हो गए. अपने इस काम से उन्होंने कई जिंदगियां बचा लीं. 

मेजर मुस्तफा की मां फातिमा बोहरा ने कहा की यह मेरे और पूरे मेवाड़ राजस्थान के लिए गौरव की बात है कि शहीद मुस्तफा को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाएगा. यह वो क्षण है जिसके लिए ऐसे वीरों को मां हमेशा तैयार रहती हैं कि बेटा कभी भी देश के लिए अपना जीवन दे देगा. मुस्तफा को हमेशा से विनर रहने का शौक था.स्कूल हो या कॉलेज हर जगह अवॉर्ड लेने में आगे रहता था.उसने शहीद होने के बाद भी यह साबित कर दिया.