बांस की लकड़ी को वास्‍तु शास्‍त्र, ज्‍योतिष धर्म में भी बहुत शुभ माना गया है. सुख-समृद्धि, तरक्‍की पाने के लिए बांस के पौधे को घर में रखा जाता है. अगरबत्ती भी बांस से ही बनती है. ऐसे में अगरबत्ती जलाना अशुभता के आगमन का संकेत माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, अगरबत्ती जलाने से वंश का नाश होता है बीमारियों का कहर बरसता है. इसके अतिरिक्त, अगरबत्ती जलाने से घर में पितृ दोष (Pitr Dosh) की बाधा सताने लगती है. माना जाता है कि जिस भी घर में अगरबत्ती या बांस जलाया जाता है वहां पितरों का प्रकोप पड़ता परिवार का एक एक सदस्य संकटों से बुरी तरह घिर जाता है
कभी न जलाएं बांस
बांस को कभी भी जलाना नहीं चाहिए. धर्म से लेकर ज्‍योतिष शास्‍त्र, वास्‍तु शास्‍त्र आदि में भी बांस को जलाने की मनाही की गई है. इसके पीछे कई कारण बताए गए हैं. यहां तक कि पूजा-पाठ में अगरबत्‍ती जलाना भी सही नहीं है. पूजा-पाठ में हमेशा धूप का ही उपयोग करना चाहिए. इसी तरह अर्थी में बांस का उपयोग किया जाता है लेकिन चिता में कभी भी बांस को नहीं जलाया जाता है बल्कि चिता जलाने के लिए अन्‍य पेड़ों की लकड़ी का इस्‍तेमाल किया जाता है.

- भगवान कृष्‍ण हमेशा अपने पास बांसुरी रखते हैं. बांसुरी बनाने के लिए बांस का ही उपयोग किया जाता है इसलिए बांसुरी को धर्म, वास्‍तु आदि में बेहद शुभ माना जाता है. लिहाजा बांस को कभी न जलाएं.

- शादी, जनेऊ, मुण्डन आदि में भी बांस की पूजा की जाती है. बांस से मण्डप बनाया जाता है. इसके अलावा बांस को वंश बेल की वृद्धि का प्रतीक माना गया है. चूंकि बांस का उपयोग शुभ काम में होता है इसलिए इसे जलाना कई मुसीबतें ला सकता है. वंश वृद्धि में बाधा डाल सकता है.

- बांस का पौधा अपने आसपास के माहौल को नकारात्‍मकता से दूर रखता है. साथ ही सुख-समृद्धि लाता है इसलिए बांस को नहीं जलाना चाहिए.

- बांस में लेड हेवी मेटल प्रचुर मात्रा में पाई जाती है. लेड जलने पर लेड ऑक्साइड बनता है, जो कि एक खतरनाक नीरो टॉक्सिक है. हेवी मेटल भी जलने पर ऑक्साइड बनाते हैं. ऐसे में बांस को जलाना पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचाता है.