आंध्रप्रदेश के तिरुपति स्थित तिरुमाला के प्राचीन भगवान वेंकटेश्वर मंदिर (तिरुपति मंदिर) के संचालन बोर्ड ने गुरुवार को 2022-23 के सालाना बजट पेश किया. इस बजट में इस वर्ष 3,096.40 करोड़ रुपए की आमदनी होने का अनुमान लगाया है. बोर्ड की बजटीय बैठक में इस वर्ष की वित्तीय योजना की समीक्षा के बाद टीटीडी बोर्ड के चेयरमैन वाई वी सुब्बा रेड्डी कार्यकारी अधिकारी केएस जवाहर रेड्डी ने बताया कि बोर्ड ने वार्षिक बजट को मंजूरी दे दी है.

इस वर्ष कुल 3,096.40 करोड़ रुपए की आमदनी विभिन्न मदों में 1,360 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान पैश किया गया है. यानी 1730.4 करोड़ रुपए के मुनाफे वाला बजट पेश किया गया है.

'लड्डू प्रसादम' की बिक्री से 365 करोड़ रुपए
मंदिर के इस साना बजट में बताया अनुमान लगाया गया है कि मंदिर के सालाना राजस्व में करीब 1,000 करोड़ रुपये पवित्र 'हुंडी' (दान-पात्र) में श्रद्धालुओं से मिलेगा. इसके साथ ही बैंकों में मंदिर की जमा पर रकम पर करीब 668.5 करोड़ रुपए ब्याज मिलेगा. इसी तरह दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं से विभिन्न टिकटों की बिक्री से 362 करोड़ रुपये आने के संभावना जताई गई है. इसके अलावा 'लड्डू प्रसादम' की बिक्री से 365 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की संभावना जताई गई है. इसके अलावा टीटीडी को लोगों के ठहरने के स्थान मैरिज हॉल के किराए से 95 करोड़ श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए बालों की बिक्री से 126 करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद जताई गई है.

1,360 करोड़ रुपए खर्च का है अनुमान
मंदिर के बजट में विभिन्‍न सेवाओं पर बोर्ड का 1,360 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. गौरतलब है कि इस बजट में मंदिर प्रशासन ने कुल 3,096.40 करोड़ रुपए की आमदनी का अनुमान लगाया है कुल खर्चे का अनुमान 1,360 करोड़ है. यानी मंदिर का 2022-23 का बजट 1730.4 करोड़ रुपए की मुनाफे वाला बजट है.

बालों का दान करने की यह है मान्यता
तिरुपति बालाजी मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भक्त यहां पर अपने बाल दान करता है, उस पर देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती है. इसके साथ ही उसकी सारी भी मां लक्ष्मी हर लेती है. ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मन से सभी पाप बुराइयों को यहां छोड़ जाता है यानी तौबा कर लेता है तो उसके सभी दुख मां लक्ष्मी हर लेती हैं. इसलिए भक्त यहां आकर सभी बुराइयों पापों के रूप में अपने बाल छोड़ जाते हैं. गौरतलब है कि तिरुपति मंदिर में प्रतिदिन करीब 20 हजार लोग बाल दान करके जाते हैं. भक्तों के मुंडन के लिए मंदिर परिसर में करीब छह सौ नाइयों को रखा गया है.