नीमच से राजेश भंडारी

वर्षों पहले स्वीकृति योजनाओं को फिर से जनता को गिनाया जा रहा
रेल सुविधाओं के नाम पर पुराना राग अलाप रहे भाजपा जनप्रतिनिधि …
डाक्टर सम्पत स्वरूप जाजू पूर्व विधायक नीमच 

नीमच   डाक्टर सम्पत स्वरूप जाजू ने एक वक्तव्य में कहा हैं कि बीजेपी के क्षेत्रीयविसांसद और अन्य जनप्रतिनिधि कई वर्षों से उन योजनाओं का श्रेय ले रहे हैं, जो वास्तविकता में केवल कागजों और वक्तव्यों तक सीमित हैं। रतलाम-नीमच दोहरीकरण की योजना, नीमच-बड़ीसादडी रेल लाइन योजना और नई रेल लाइनों के सर्वे स्वीकृत हुए कई वर्ष हो गए, और बजट में भी उनके लिये धनराशि आवंटित की गई थी .लेकिन बीजेपी के जनप्रतिनिधि आज भी इसका श्रेय ले रहे हैं। यह कार्य कब शुरू होंगे या कब पूरे होंगे इस बारे में संसदीय क्षेत्र की जनता को स्पष्ट तक नहीं किया जा रहा। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को संसदीय क्षेत्र के जनता से माफी मांगनी चाहिए।

जनप्रतिनिधि वर्षों पूर्व में स्वीकृत योजनाओ का वर्तमान बजट 2023-24 में भी श्रेय ले रहे हैं जो की क्षेत्र के लोगो के साथ धोका हैं 

 डाक्टर जाजू ने  कहा कि वर्तमान 2023-24 के बजट में अधिकतर जिन योजनाओ का श्रेय जनप्रतिनिधि लें रहे हैं वे कई वर्षों पूर्व स्वीकृत हुई हैं। इस बजट की तुलना वर्ष 2019-20 के रेल को आवंटित बजट (जो की सांसद के द्वितीय संसदीय काल का हैं) से करें तो आपको स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। जिन स्वीकृत रेल योजनाओं में धन आवंटित किया गया था वह आज भी अधूरी हैं। आगे कब तक पूरी होंगी इसकी कोई समय सीमा तय नहीं है। तत्काल लाभ की ऐसी कोई अधोसंरचना की योजना नहीं हैं, जिसका त्वरित लाभ क्षेत्र के लोगों को इसी वर्ष मिले। व्यक्तिगत लाभ की योजना इसमें शामिल नहीं है। योजनाओं को क्षेत्र में जमीन पर क्रियान्वयन करवाने की पूरी जिम्मेदारी चुने हुए जनप्रतिनिधियों की होती है। यह संसदीय क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि क्षेत्र में वर्षों से केंद्र सरकार अधोसंरचना की योजनाएं चाहे वह स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़क, रेल, हवाई सेवा जो रेल या कृषक कल्याण की हो जमीन पर समय सीमा में क्रियांवित नहीं हुई। बावजूद इसके जनप्रतिनिधि कई वर्षों से उन योजनाओं का श्रेय ले रहे हैं।

वर्ष 2022 में जो कार्य होना था पूरा, अब तक शुरू भी नहीं हुआ

डॉ. जाजू ने कहा कि जिस प्रोजेक्ट का (नीमच-बड़ीसादड़ी) शिलान्यास तत्कालीन केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत ने वर्ष 2018 में किया और उसको पूरा करने की समय सीमा 2022 बताई थी वह अभी भी उपयुक्त बजट के अभाव में अधूरी है। कितने वर्ष लगेंगे पूरा होने में इसकी कोई गारंटी नहीं है। यही स्थिति रतलाम-नीमच दोहरीकरण का है। यूपीए सरकार के समय स्वीकृत योजना अभी भी दो चरण में पूरा करने की बात की जा रही है। मंदसौर और नीमच स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं की मांग एक कई वर्षों से की जा रही हैं, लेकिन अब तक पूरी नहीं हुई। मंदसौर-सुवासरा, नीमच-रामगंजमंडी, नीमच-कोटा रेल लाइन के सर्वे की स्वीकृति मिले लगभग 11 वर्ष हो गए हैं, लेकिन इस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ और न ही उम्मीद हैं। वन्देमातरम् ट्रेनों की शुरुआत हो गई हैं जो लंबे और छोटे रेल मार्गों पर चलाई जा रही हैं, लेकिन दुर्भाग्य हैं कि इसका लाभ जयपुर-अजमेर-चित्तौडग़ढ़-नीमच-मंदसौर-रतलाम एवं उदयपुर-चित्तौडग़ढ़-नीमच-मंदसौर-रतलाम रेल खंड पर नहीं मिला। न ही सांसद की निष्क्रियता के चलते मिलने के आसार दिख रहे हैं। कई लंबी दूरी की गाडिय़ों के स्टापेज जो पूर्व में संसदीय क्षेत्र के विभिन्न स्टेशनों पर थे वे बंद कर दिए गए हैं। मंदसौर से दिल्ली के लिए सीधी ट्रेन की सुविधा बंद हो गई हैं। डेमो ट्रेन के फेरे कम हो गए हैं। नई मेमो ट्रेन की मांग चित्तौडग़ढ़ से उज्जैन, इंदौर के बीच चलाने की एक लंबे समय से की जा रही हैं वे नहीं शुरू हुई। रतलाम-भिंड-ग्वालियर ट्रेन का विस्तार नीमच तक करने की मांग लम्बे समय से ही जा रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। संसदीय क्षेत्र में राज्य सरकार ने कई रेलवे ओवरब्रिज की बजट में स्वीकृति कई वर्ष से दे रखी हैं। खासकर नीमच के बघाना आरओबी के बारे में रेल मंत्रालय ने बजट में एक शब्द भी नहीं कहा।