रंगो का त्योहार होली आने में अब कुछ दिन ही शेष बचे हैं. रंगों के इस त्योहार में लोग रंग बिरंगे रंगों से होली खेलते हैं. हालांकि पिछले कुछ समय में यह भी देखा गया है कि रासायनिक रंगों के प्रयोग से स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है. इसके चलते अब हर्बल गुलाल की डिमांड बाजारों में बढ़ गई है. हर्बल गुलाल की भारी डिमांड को देखते हुए गांव, ढाणी व शहर की महिलाएं समूह बनाकर इस कार्य को अब करने लगी है. इसमें राजीविका भी इनकी मदद करने में आगे है. अलवर जिले की महिलाएं भी अब हर्बल गुलाल बना रही है. इस गुलाल की मांग अलवर जिले में ही नहीं बल्कि देश भर में हो रही है. यह हर्बल गुलाल समूह की महिलाओं द्वारा पिछले 3 सालों से बनाई जा रही है. जिसमें इन्हें लाखों का मुनाफा होता है. इस बार अभी तक 5 क्विंटल गुलाल की बिक्री महिलाओं द्वारा हो चुकी है.

अलवर जिले के युवा जागृति संस्थान की पिंकी सैनी कहती है कि होली का त्यौहार नजदीक आने को है और इसको देखते हुए अलवर में हर्बल गुलाल की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. इसके तहत हमारी संस्थान की महिलाएं हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हुई है. हमारे साथ अभी 519 महिलाएं जुड़ी हुई है. पिछले साल की बात की जाए तो पिछले साल हमारे हर्बल गुलाल में करीब 3 लाख की बचत हुई थी. इसके साथ ही 6 लाख की सेलिंग हुई. इसके तहत हमने अलग-अलग प्रकार के रंग बनाएं हैं. जिसमें हर लाल, चॉकलेटी, पीला और गुलाबी कलर शामिल है.
700 टन गुलाल बनाने का रखा लक्ष्य
इस बार होली पर हर्बल गुलाल की डिमांड को देखते हुए करीब हमने 700 टन गुलाल बनाने का लक्ष्य रखा है. इसके तहत हरा कलर हम पालक को पीसकर तैयार करते हैं. पीला कलर गेंदे के फूल से तैयार करते हैं. इसके साथ ही चकुंदर,अनार व गुलाब के फूलों से भी गुलाल तैयार की गई है. इसी प्रक्रिया से हमने कई तरह के रंग तैयार किए हैं. इस पूरे प्रोसेस में गुलाल बनने से लेकर सूखने तक करीब 3 से 4 दिन का समय लगता है. इसके साथ ही हमारे साथ समूह के माध्यम से 6 हजार महिलाएं जुड़ी हुई है. सबसे बड़ी खास बात यह है कि इन महिलाओं द्वारा ही प्रोडक्ट की सेल की जाती है. इन ग्रामीण महिलाओं द्वारा ही ऑनलाइन और ऑफलाइन गुलाल सेल की जाती है.


अलवर ही नहीं बाहरी राज्यों में भी है मांग
युवा जागृति संस्थान की ओर से तैयार की जा रही हर्बल गुलाल की मांग अलवर जिले में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में है. यह गुलाल घर पर स्वदेशी रंग से तैयार किया जा रहा है. जो की हर्बल होने के साथ-साथ आयुर्वेदिक भी है. इससे चेहरे पर किसी भी प्रकार की साइड इफेक्ट नहीं होता. इसमें किसी भी तरह का रासायनिक पदार्थ का प्रयोग नहीं होता.

फाग उत्सव में भी है इस गुलाल की डिमांड
फाग माह के शुरू होते ही मंदिर और विभिन्न संगठन, संस्थाओं की ओर से फाग उत्सव मनाए जाते हैं. जिसमें होली मिलन समारोह मनाया जाता है. इसमें यह हर्बल गुलाल की भी डिमांड अच्छी है. देखा जाए तो अभी तक 5 क्विंटल गुलाल बेची जा चुकी है.