झारखंड में मुख्यमंत्री सोरेन और उनकी पत्नी पर जिस तरह से ईडी का दबाव बना रही है। यदि ऐसी स्थिति आई कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उनकी पत्नी अथवा परिवार के सदस्यों को जेल जाना पड़ा तो सोरेन अपने किसी करीबी को को गांडेय से चुनाव लड़वा सकते हैैं। जेल जाने पर हेमंत मुख्यमंत्री पद छोड़ेंगे तो उनके स्थान पर किसी और मुख्यमंत्री बनने के लिये बहुमत साबित करना पड़ेगा। लेकिन इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि दूसरी सरकार बहुमत साबित कर सके। इसकी वजह यह है कि कई घटक दल सरकार में ऐसे हैैं जो घटक दल सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैैं असल वह भी अवसर की तलाश में है। सहयोगी दल सरकार के सामने शर्तें भी रख सकते हैैं। कुल मिलाकर सरकार बचाना और चलाना दोनों आसान नहीं होगा।

सरकार संविधान के विरुद्ध काम कर रही है

वर्तमान सरकार संविधान के विरुद्ध काम कर रही है। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर है। संविधान के नियमों के विरुद्ध सरकार चल रही है। ऐसे में सरकार का बने रहना ठीक नहीं लगता है। विधायक सरफराज अहमद से इस्तीफा भी दिलवाया गया है। मौजूदा राजनीतिक हालात में राज्यपाल कोई वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए भाजपा को आमंत्रित कर सकते हैं। वे राजनीतिक अस्थिरता का हवाला देकर राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में अगर केंद्र सरकार झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू कर तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये। उपर्युक्त सारी बात कहते हुए जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय कह रहे हैैं। उनके इस दावे ने राज्य सियासी पारा चढ़ा दिया है।