सरकार की नियोजन नीति के विरोध में बुधवार को बुलाए गये झारखंड बंद का दुमका में भी व्यापक असर देखने को मिला। सुबह आठ से दोपहर चार बजे तक पूरी उपराजधानी थम सी गई। दुकानों में ताला लटका रहा। छोटे से लेकर बड़े प्रतिष्ठान बंद रहे।

पूरी तरह बंद रही वाहनों की आवाजाही

बंद के कारण बसों के साथ मालवाहक वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से बंद रही। बस स्टैंड में सन्नाटा पसर रहा। निजी से लेकर सरकारी विद्यालय बंद रहे। चार बजे के बाद दुकान आदि खुलना शुरू हुई। बंदी का दुकानदारों ने खुलकर समर्थन किया। हालांकि दवा दुकानों पर किसी तरह की पाबंदी नहीं थी।

सुबह आठ बजे से ही दिखने लगा बंद का असर

सुबह आठ बजे से बंद का असर दिखना शुरू हो गया। सबसे पहले छात्र समन्वय समिति के सदस्य श्यामदेव हेम्ब्रम, राजीव बास्की और राजेंद्र मुर्म के नेतृत्व में लाठी डंडों से लैस छात्रों ने श्रीअमड़ा चौक को जाम किया। चारों के चारों रास्ते को बांस बल्ली लगाकर बंद कर दिया। जिससे दुमका से काठीकुंड और साहेबगंज-गोविंदपुर हाइवे में ट्रकों की लंबी लाइन लग गई। ज्यादा ट्रकों में कोयला भरा हुआ था। इसके बाद छात्रों ने एसी कॉलेज और दुधानी और डीसी चौक को जाम कर दिया। छात्र इस कदर नाराज थे कि बाइक को भी जाने नहीं दे रहे थे। सभी चौक-चौराहों पर छात्रों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

छात्र नेता बोले, सरकार ने आंदोलन के लिए किया मजबूर

छात्र नेता श्यामदेव ने कहा कि सरकार ने गलत नियोजन नीति लाकर छात्रों को आंदोलन के लिए मजबूर किया है। अपनी गलती स्वीकार करने की बजाय सरकार दमनकारी नीति से आंदोलन को दबाना चाहती है। सरकार को एक दिन झुकना ही पड़ेगा। आने वाले समय में आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

नियोजन नीति बनाने वाले नहीं चाहते आदिवासियों का भला- छात्रनेता

राजेंद्र मुर्मू और राजीव बास्की ने कहा कि पता नहीं सरकार को किसने नियोजन नीति बनाने में सहयोग किया। जिसने ऐसा किया है, वह आदिवासी और यहां के लोगों का भला नहीं चाहता है। सरकार ने बिना सोचे समझे नीति को लागू कर दिया। लेकिन युवा अब चुप बैठने वाले नहीं है। विरोध तबतक जारी रहेगा जब तक सरकार नियोजन नीति को रद्द नहीं कर देती है।

स्कूली बच्चों को कराया पास

बंदी में अधिकांश स्कूल बंद रहे लेकिन कुछ निजी विद्यालय में पढ़ाई हुई। दोपहर करीब 11 बजे छात्र दुधानी में किसी भी वाहन को पार नहीं होने दे रहे थे, तभी बाइपास की ओर से दो आटो में बच्चे आते दिखाई दिए। छात्रों के शोर मचाने पर चालक ने गाड़ी रोक दी। इसके बाद छात्रों ने स्वयं रास्ता खुलवाकर वाहनों को पास कराया।

बंदरजोड़ी से लेकर हवाई अड्डे तक की दुकानों को जबरन कराया बंद

दुमका में किसी भी तरह की बंदी हो लेकिन बंदरजोड़ी से लेकर हवाई अड्डे तक एक भी दुकान बंद नहीं रहती है। यहां के दुकानदारों को बंदी से किसी तरह का वास्ता नहीं रहता है। हालांकि बुधवार दोपहर करीब एक दर्जन बाइक से कुछ युवक हाथ में डंडा लेकर आए और खुली हुई दुकानों को बंद कराया। इसके बाद दुकान के शटर गिरने लगे। छात्राें ने कहा कि लगातार अनुरोध के बाद भी दुकान क्यों बंद नहीं की। लगता है कि तुम लोगों को अलग से कार्ड देकर दुकान बंद कराने के लिए कहा जाएगा। छात्रों ने कहा कि अगर एक भी दुकान खुली मिली और कुछ अनहोनी हुई तो दुकानदार ही इसके लिए जिम्मेवार होंगे। इसके बाद छात्र आगे की दुकानों को बंद कराने के लिए निकल गए।