धर्मांतरण को लेकर विधानसभा में हंगामा
विधानसभा में शून्यकाल के दौरान अल्पसंख्यक सर्टिफिकेट जारी करने में सरलीकरण के बहाने धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने हंगामे के बाद सदन से वॉकआउट कर दिया। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और बीजेपी विधायक शंकर सिंह रावत ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए मामला उठाया।
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री शाले मोहम्मद ने कलेक्टर को चिट्ठी लिखकर ओबीसी सर्टिफिकेट के आधार पर अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी करने के आदेश दिए। कटारिया ने कहा कि मंत्री ने एक विवादित व्यक्ति जमालुद्दीन के कहने के बाद पत्र लिखा है। चीता, मेहरात, काठात जातियों के लोगों को केवल ओबीसी सर्टिफिकेट या एफिडेविएट के आधार पर अल्पसंख्यक सर्टिफिकेट देने का प्रावधान करना धर्मातंरण का लालच देना है।
मंत्री ने विभाग से आदेश दिलवाने की जगह खुद आदेश दिया। मंत्री इस तरह के कार्य से धर्मांतरण का रास्ता खोल रहे हैं। बच्चों को हॉस्टल में भर्ती करवाने का लालच देकर धर्मांतरण करवाने का प्रयास हो रहा है। मंत्री कलेक्टर को आदेश देकर धर्मांतरण का रास्ता दिखा दे रहे हैं, इससे असंतोष पैदा हो रहा है। जिस जलालुद्दीन के कहने पर मंत्री ने कलेक्टर को आदेश दिया, उस व्यक्ति के कारण क्षेत्र में संघर्ष के हालात बने हुए हैं।
कटारिया के आरोपों पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री शाले मोहम्मद ने कहा कि सर्टिफिकेट बनाने की पूरी प्रक्रिया तय है। मैंने चिट्ठी लिखकर तय नियमों के हिसाब से ही अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी करने को कहा था, गलत प्रमाण-पत्र जारी करने पर कार्रवाई होती है, जिला स्तर पर कमेटी निरस्त कर सकती है। मंत्री के जवाब के बाद बीजेपी विधायक संतुष्ट नहीं हुए और हंगामा करते हुए सदन से वॉकआउट कर गए। इस मामले पर स्पीकर ने कहा कि मंत्री का इंटेशन नहीं था, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर लंबी बहस नहीं करवा सकते।
विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री परसादीलाल मीणा ने माना है कि सियासी रसूख के कारण डॉक्टर्स ने कई जगह जॉइन नहीं किया और डेपुटेशन के नाम पर फिर वहीं रुक गए, जबकि दूर-दराज के अस्पतालों में डॉक्टर्स ही नहीं है। बीजेपी विधायक संतोष के सवाल के जवाब में परसादीलाल मीणा ने कहा कि कई जगह डॉक्टरों के पद खाली हैं। यह चिंता का विषय है। कई जगह 40 डॉक्टर्स के पद हैं और 70 लगा रखे हैं, कई जगह 20 की जगह 40 लगा रखे हैं।
परसादीलाल मीणा ने कहा कि हमने एक्सेस डॉक्टर्स के वेतन पर रोक लगा दी है। यह नहीं चलेगा कि नौकरी करेंगे जयपुर में और वेतन लेंगे नाथद्वारा से, सीकर से या हनुमानगढ से। इस चीज को हमने प्रतिबंधित किया है। डॉक्टर्स की जहां पोस्टिंग है, वहीं काम करना होगा। वेतन भी तभी मिलेगा। डॉक्टर्स को वहां जॉइन करना ही होगा, नहीं तो नौकरी भी चली जाएगी। हम सख्ती से इसे लागू करेंगे।
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि डॉक्टर्स के डेपुटेशन खत्म करने के पहले भी इस तरह के कई प्रयोग हुए, लेकिन दबाव के कारण फेल हो गए। मैं आपको बधाई दूंगा, आप इसका ढंग से पालन करवा दीजिए, राजस्थान की जनता आपको दुआएं देगी। इधर, भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के साथ शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी ने सरकार को घेरने की रणनीति बनाई। रीट मुद्दे पर बीजेपी ने राज्यपाल के अभिभाषण से लेकर उस पर बहस और सीएम के जवाब तक हंगामा किया था और विधानसभा की कार्यवाही में भाग नहीं लिया था। 16 मार्च तक बहस के बाद अनुदान मांगों को पारित करवाया जाएगा। अनुदान मांगों पर बहस के दौरान जनता से जुड़े विभागों पर सरकार को फैक्ट्स के साथ घेरने की रणनीति बनाई गई है। बीजेपी विधायकों को तैयारी के साथ आने का टास्क दिया गया है। शिक्षा से जुड़ी गड़बड़ियों को उठाने पर फोकस रहना तय है, ऐसे में सदन में हंगामे के आसार भी बन रहे हैं।