बिलासपुर । बिलासपुर इंसानियत का जज्बा... हमारे भारत में सदैव से ही रहा है, और यह हम सबके लिए एक बड़ी उपलब्धि है हम भारतवासी हैं और इस चीज का हमें गुमान है कि हम इंसानियत को कभी भी नहीं छोड़ते हम सौभाग्यशाली की हमको किसी भी कोने में हर हाल में ये देखने को मिल जाती हालांकि हर व्यक्ति इंसानियत के दायरे में आता ये जरूरी नही परंतु मानवता की झलक हमे कभी किसी मोड पर नजर आ ही जाती है और यही हमारे देश की संस्कृति व धरोहर है कि कुछ लोग इंसानियत निभाते है। ऐसा एक वाक्या 4 अप्रेल को ट्रेन में देखने को मिला जो कि सचमुच ही सराहनीय था, मामला कुछ इस तरह था की हसदेव एक्सप्रेस से रायपुर से बिलासपुर के लिए एक महिला ट्रेन में चलते वक्त चोटिल हो गई। इसके उपचार के लिए सबने रेलवे विभाग के आला अधिकारियों के अलावा सभी को निवेदन किया व ऑनलाइन भी रिक्वेशट डाली और कॉल भी किया लेकिन रेलवे की तरफ से यह जवाब आया की आपको डॉक्टर की सुविधा बिलासपुर में मिल जाएगी क्योंकि वह महिला बिलासपुर की ही थी तो रास्ते में कुछ राहत मिल जाती तो यह रेलवे का दायित्व बनता है। जो कि संभव नही हो पा रही थी। लेकिन उस दायित्व को बखूबी रेलवे टिकट निरीक्षक बीके दास ने बखूबी निभाया श्री दास ने रेल्वे में कार्यरत होने की एक अहम जिम्मेदारी निभाते हुए ट्रेन में ही ऐसी कोच में यात्रा कर रही लेडी डॉक्टर का पता कर उन्हें वास्तु स्तिथि से अवगत लेकिन ट्रैन में अत्यधिक भीड़ होने के कारण वे उन्हें उस बोगी तक लाने में असमर्थ थे। जहां चोटिल महिला थी फिर भी टिकट निरीक्षक बी के दास ने हार नही मानी और उन्होंने उस लेडी डॉक्टर से कुछ जरूरी मेडिसिन लिखवा ली जिससे अत्यधिक पी?ा झेल रही महिला को तात्कालिक राहत प्रदान की जा सके अगला कदम उनका जो था उन जरूरी मेडिसिन को अपने परिचित के माध्यम से भाटापारा स्टेशन में उक्त बोगी तक पहुंचाने का जो कि इस कार्य मे उंन्होने सफलता अर्जित कर ली वही भाटापारा में ट्रैन रुकते ही उस लेडी डॉक्टर को अपने साथ उस चोटिल महिला तक खुद चलकर ले आएं फिर क्या था डॉक्टर और आवश्यक दवाएं दोनों पहुंचने से पीड़ा झेल रही महिला को तुरंत राहत मिली तथा बिलासपुर पहुंचने पर बोगी के पास ही उनके लिए विहिल चेयर प्रदान भी करा दी,और बोगी में सफर कर रहे सभी यात्रियों ने उसे यंग और युवा टिकट निरीक्षक की इतनी तारीफ की और सभी ने उसकी सराहनीय करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया टिकट निरीक्षक बीके दास जो युवा टिकट निरीक्षक थे। वह रायपुर से बैठे थे और कोरबा तक उनको जाना था यह उनकी जिम्मेदारी थी लेकिन यात्रियों में अगर कोई असुविधा है उसके लिए उन्होंने विभागीय प्रयास करते हुए जो मानवता निभाई वो सचमुच ही बेहद प्रशंसा के काबिल कार्य था। विभाग से जो भी उनकी कोशिश थी कि लेकिन उनको लगा की बहुत देर हो जाएगी क्योंकि वह महिला बहुत चोटिल थी और वह अश्वनीय पीड़ा से बहुत ज्यादा तकलीफ में थी उन्होंने अपने पर्सनली व्यक्तिगत रूप से किसी एक बंदे को को बोल कर इतना सब किया वो एक मिसाल बन गया और तो और उनके साथ एक और टी टी ई आर के सिन्हा ने भी अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ उनका साथ दिया। बीदास टीटीई कोरबा डिवीजन बिलासपुर और आर के सिन्हा टी टी आई कोरबा डिवीजन बिलासपुर इन दोनों की ड्यूटी निभाने के साथ मानवता को निभाने के लिए सभी यात्रियों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया और ऐसे रेल्वे में कार्यरत कर्मचारियों की रेल्वे विभाग उनका मनोबल बढ़ाने हेतु सभी ने विभाग से उन्हें सम्मानित करने की अपील की।