भाजपा-कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने संभाली चुनावी कमान


भोपाल। मप्र में सत्ता का संग्राम धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है। भाजपा और कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि इस बार का विधानसभा चुनाव हर हाल में जीता जाए। इसके लिए दोनों पार्टियां मैदानी जमावट के साथ ही रणनीतिक मोर्चे पर भी पूरा ध्यान दे रही हैं। पार्टियों की रणनीति को देखते हुए यह बात तो स्पष्ट दिख रही है की इस बार दिल्ली से चुनाव लड़ा जाएगा। यानी दोनों पार्टियों के राष्ट्रीय नेताओं की रणनीति पर चुनाव लड़ा जाएगा। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों में केंद्रीय नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देकर सक्रिय किया गया है।
गौरतलब है कि मप्र में भाजपा के राष्ट्रीय नेता तो पिछले एक साल से चुनावी मोड में हैं। पिछले एक साल से भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता लगातार बैठकें कर रहे हैं। क्षेत्र में जाकर फीडबैक ले रहे हैं। अब विभिन्न समितियों में इन्हें जगह देकर या फिर बड़ा पद देकर मप्र में सक्रिय कर दिया है। वहीं अब कांग्रेस भी इसी नक्शे कदम पर काम करने लगी है। कांग्रेस में राष्ट्रीय नेताओं को जिम्मेदारी देकर सक्रिय कर दिया गया है। इससे साफ हो गया है कि इस बार मप्र का चुनाव दिल्ली में बनी रणनीति पर दिल्ली दरबार के नेताओं के दिशा निर्देश पर लड़ा जाएगा।

शीर्ष नेतृत्व का पूरा फोकस मप्र पर
अगर यह कहा जाए कि मप्र भाजपा और कांग्रेस की चुनावी रणनीति का केंद्र बनता जा रहा है तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं होगी। शायद यही वजह है की दोनों पार्टियों ने विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारी का श्रीगणेश यहीं से किया है। वहीं प्रदेश में विधानसभा चुनाव में फतह के लिए दोनों ही पार्टियां विधानसभा की एक-एक सीट पर फोकस कर रही है। दोनों ही दलों की चुनावी तैयारियों में राष्ट्रीय स्तर से नेताओं की मप्र में एंट्री हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अचानक प्रदेश में सक्रियता बढ़ा दी है। भोपाल और इंदौर का दौरा करने के बाद अब ये 4 अगस्त को जबलपुर आने वाले हैं। यहां वे पार्टी पदाधिकारियों के साथ चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगे। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी जून में जबलपुर से चुनाव प्रचार का आगाज कर चुकी हैं। इसके बाद वे ग्वालियर में जनसभा को संबोधित कर चुकी हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अगस्त में होने वाले एमपी के दौरे स्थगित कर दिए गए हैं। हालांकि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस के पास ऐसे राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की कमी है, जो प्रदेश के लिए जाना पहचाना नाम हो।

भाजपा के केंद्रीय नेता मोर्चे पर
प्रदेश में तीन माह बाद होने वाला विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों को मप्र में सक्रिय कर दिया है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को चुनाव प्रभारी और अश्विनी वैष्णव को सह प्रभारी बनाया गया है। ये दोनों नेता प्रदेश में लगातार सक्रियता बनाए हुए हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मप्र चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया है। वे हफ्ते भर से प्रदेश में सक्रिय हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी मैदान में उत्तर गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून के अंत में भोपाल से चुनाव अभियान का शंखनाद कर शहडोल का दौरा कर चुके हैं। पीएम मोदी 12 अगस्त को सागर के दौरे पर आ रहे हैं। वे यहां संत रविदास मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन करेंगे। मंदिर का निर्माण 102 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि   हमारे पास सर्वश्रेष्ठ शीर्ष नेतृत्व है। जिस भी राज्य में चुनाव होते हैं, पार्टी के केंद्रीय नेता वहां सक्रिय रहते हैं। वे चुनाव के संबंध में अनुभव के आधार पर मार्गदर्शन देते हैं। आने वाले दिनों में केंद्रीय नेताओं के दौरे और बढ़ेंगे।

कांग्रेस में बाहरियों को बड़ी जिम्मेदारी
उधर, कांग्रेस ने जीत की रणनीति पर काम करने के लिए बाहरी नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी है। अभी हाल ही में कांग्रेस ने एमपी में विधानसभा चुनाव के लिए राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला को सीनियर ऑब्जर्वर बनाया है। जबकि महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता चंद्रकांत दामोदर हंडोरे को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है। एमपी में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के सीनियर ऑब्जर्वर और ऑब्जर्वर टिकट वितरण से लेकर चुनावी रणनीति बनाने का काम भी करेंगे। पार्टी को एकजुट रखना, नेताओं की नाराजगी दूर करने का काम भी देखेंगे। कार्यकर्ताओं और नेताओं की समस्याएं और सुझाव भी ये नेता सुनेंगे। क्षेत्र की वास्तविक स्थिति जानकर उसके अनुसार जीत की रणनीति पर काम करेंगे। दरअसल, कांग्रेस कमेटी मप्र के विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर है। यही वजह है कि पार्टी ने दूसरे राज्यों के नेताओं को पर्यवेक्षक नियुक्त कर मप्र भेजा है। अर्जुन मोढवाडिया, सुभाष चोपड़ा, कुलदीप राठौड़ और प्रदीप टम्टा को मप्र में चुनावी तैयारियों की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है। ये चारों ऑब्जर्वर एआईसीसी की सहमति से लगातार हार रही सीटों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुभाष चोपड़ा को भोपाल की जिम्मेदारी दी गई है। वे भोपाल और आसपास की डेढ़ दर्जन सीटों का दौरा कर चुके हैं महाकौशल और विंध्य की जिम्मेदारी उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे प्रदीप टम्टा को सौंपी गई है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे कुलदीप राठौड़ को ग्वालियर- चंबल अंचल को सीटें और गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष रहे अर्जुन मोहवडिय़ा को मालवा और निमाड़ की हार वाली सीटें दी गई हैं। ये चारों ही नेता अच्छे चुनावी रणनीतिकार हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सिंद्धार्थ सिंह राजावत का कहना है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व आज भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ पर भरोसा जता रहा है। अन्य राज्यों की तरह कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व मप्र चुनाव की लेकर गंभीर है। हमारे सभी बड़े नेता मप्र आ रहे हैं और आने वाले दिनों में भी आएंगे।  

स्क्रनिंग कमेटी के चेयरमैन बने जितेंद्र सिंह
 विधानसभा चुनावों को देखते हुए चुनावी राज्यों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की तरफ से मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी जितेद्र सिंह को दी गई है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की स्वीकृति के बाद पार्टी के जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल की तरफ से सूची जारी की गई। मप्र विधानसभा चुनाव के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी में जितेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है। जितेंद्र सिंह राजस्थान के अलवर से सांसद रहे है। वह केंद्र सरकार में गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री रह चुके है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू  और सप्तागिरी उल्का को सदस्य बनाया गया है। वहीं, समिति में पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री कांतिलाल भूरिया, विधायक कमलेश्वर पटेल और एआईसीसी के प्रदेश प्रभारी सचिव को पदेन सदस्य बनाया गया है।