हिंदू कैलेंडर का आखिरी यानी 12वां महीना फागुन मास शुरू हो चुका है, जो आने वाले 25 मार्च तक चलेगा. फागुन माह का प्राकृतिक, वैज्ञानिक और धार्मिक रूप से खास महत्व है. इस माह में महाशिवरात्रि व होली दो बड़े त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाएंगे, पूरे महीने फाग महोत्सव की धूम रहेगी. जिस प्रकार माघ मास में दान का महत्व है ठीक उसी प्रकार फागुन के महीने में दान का धार्मिक महत्व है. अपनी श्रद्धानुसार गरीबों को दान और पितरों के निमित्त तर्पण आदि जरूर करना चाहिए. फागुन मास में शुद्ध घी, तिल, सरसों का तेल, मौसमी फल आदि का दान बहुत ही पुण्य फल प्रदान करने वाला माना गया है.

ज्योतिषाचार्य चंद्रशेखर दाधीच ने बताया कि इस महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा फाल्गुनी नक्षत्र में होते हैं. इस कारण इस महीने को फागुन कहा जाता है. इस माह के व्रत ऊर्जा से भरपूर होते हैं. वैसे तो साल के 12 महीने हम किसी भी देवी देवता की आराधना करते हैं. लेकिन कुछ महीने ऐसे हैं जिनमें भगवान की खास आराधना की जाती है. मान्यता है कि रोगों से मुक्ति पाने के लिए फागुन का माह उत्तम होता है. इस माह में भोलेशंकर को सफेद चंदन अर्पित करने से स्वास्थ्य लाभ होता है, साथ ही, मां लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है.

फाल्गुन मास में कृष्ण भक्ति का मिलता है विशेष लाभ
फागुन मास में भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है यदि इस महीने में भगवान कृष्ण के तीन स्वरूप अर्थात बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण की पूजा की जाए तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. यदि किसी को संतान सुख चाहिए तो वह बाल गोपाल की आराधना करें, जिन्हें अपने दाम्पत्य जीवन में सुख चाहिए तो उन्हें युवा कृष्ण की और जिन्हे जीवन में मोक्ष और वैराग्य की तलाश है, उन्हें गुरू कृष्ण की साधना करनी चाहिए.


फाल्गुन मास के व्रत-त्योहार
1 मार्च यशोदा जयंती, 3 मार्च शबरी जयंती, भानु सप्तमी, मार्च जानकी जयंती, 6 मार्च विजया एकादशी, 8 मार्च महाशिवरात्रि,10 मार्च फाल्गुन अमावस्या, 12 मार्च फुलेरा दूज, रामकृष्ण जयंती, 13 मार्च विनायक चतुर्थी, 14 मार्च मीन संक्रांति, 20 मार्च आमलकी एकादशी, 22 मार्च प्रदोष व्रत, 24 मार्च होलिका दहन, पूर्णिमा व्रत, 25 मार्च होली, महाप्रभु जयंती रहेगी.