जयपुर | राजस्थान के शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने गुरुवार को विधानसभा में कहा कि राजस्थानी भाषा को राजस्थान की द्वितीय राजभाषा घोषित करने के सम्बन्ध में भाषा राज्यमंत्री ने एक समिति के गठन का अनुमोदन किया है। उन्होंने बताया कि यह समिति छत्तीसगढ़ और झारखंड के मॉडल की स्टडी कर वहां की तर्ज पर राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के सम्बन्ध में रिपोर्ट पेश करेगी।

शिक्षा मंत्री गुरुवार को विधानसभा में शून्यकाल के दौरान विधानसभा सदस्य और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ की ओर से राजस्थानी भाषा को राज्य की राजभाषा बनाने और तृतीय भाषा के रूप में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में जोड़ने के सम्बन्ध में लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत पाठ्यक्रम में राजस्थानी भाषा साहित्यिक विषय के रूप में शामिल है। उन्होंने कहा कि सक्षम स्तर से अनुमोदन के बाद इसे तृतीय भाषा के रूप में शामिल किया जाना संभव होगा।

डॉ. कल्ला ने बताया कि राजस्थानी भाषा को मान्यता देने और संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के सम्बन्ध में राज्य विधानसभा के सभी सदस्यों ने 25 अगस्त 2003 को सर्वसम्मति से संकल्प पारित किया गया था। राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने के लिए केन्द्र सरकार से समय-समय पर आग्रह किया जाता रहा है। इस सम्बन्ध में वर्ष 2009, 2015, 2017, 2019, 2020 व 2023 में मुख्यमंत्रियों की ओर से केन्द्र सरकार को निवेदन किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रकरण भारत सरकार के स्तर पर विचाराधीन है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के ध्यान में आया है कि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भाषाओं को राजभाषा बनाया गया है। वर्तमान में राज्य में राजस्थान राजभाषा अधिनियम-1956 लागू है। राजस्थानी भाषा को राजभाषा में शामिल करने और इस एक्ट में संशोधन के लिए प्रकरण का परीक्षण करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महापात्रा समिति ने भी राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए पात्र माना है। डॉ. कल्ला ने कहा कि इस सम्बन्ध में पक्ष-विपक्ष के सदस्यों को एकजुट होकर प्रधानमंत्री से मिलकर आग्रह करना चाहिए।