कोटा में मूर्त रूप ले चुके वर्ल्ड हेरिटेज चंबल रिवर फ्रंट में नित-नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। जैसे-जैसे इसके लोकार्पण की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे इसमें नए वर्ल्ड रिकॉर्ड शामिल हो रहे हैं। चंबल रिवर फ्रंट के लिए बनाए गए घंटे के निर्माण के दौरान भी पांच नए विश्व कीर्तिमान बने हैं।

79 हजार किलो वजनी घंटे की ढलाई (कास्टिंग) का काम पूरा हो चुका है। इस घंटे को बनाने में 13 धातुओं के मिश्रण का इस्तेमाल हुआ है। यह सिंगल पीस कास्टिंग (बिना जोड़) वाला घंटा कुछ दिनों बाद चंबल रिवर फ्रंट की शोभा बढ़ाएगा। इसका व्यास 8.5मीटर है और ऊंचाई 9.25 मीटर। इसे बनाने वाले कास्टिंग इंजीनियर का दावा है की इसकी आवाज 8 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी।

पहले तय हुआ था कि इसे 57 हजार किलो का ही बनाया जाए। प्रोजेक्ट इंजीनियर देवेंद्र आर्य का कहना है कि घंटे की ढलाई के लिए पहले धातुओं को 3000 डिग्री सेल्सियस पर पिघलाया गया। ग्रीन सिलिका सैंड से बने विशेष सांचे में विशेष पात्रों की मदद से पिघली धातुओं के मिश्रण को डाला गया। इसे प्राकृतिक रूप से ठंडा किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में भट्टी का तापमान तीन से चार हजार डिग्री सेल्सियस मेंटेन करना अपने आप में बड़ी बात है। इसके लिए गुजरात से 35 भट्टियां मंगवाई गई।

भट्टियों को जलाकर मॉल्ड बॉक्स में धातुओं का मिश्रण डालने से पहले इसका तापमान 400 डिग्री तक ले जाया गया।इस तापमान पर भट्टी को सेट करना आवश्यक था। भट्टी का तापमान 400 डिग्री पर सेट नहीं होता तो घंटे का 3डी डिजाइन नहीं बन पाता। 4- 5 दिन से भट्टियों को चालू करने के प्रयास हो रहे थे।प्रोजेक्ट इंजीनियर आर्य के अनुसार इस कार्य में 200 एक्सपर्ट और 1000 कर्मचारी दिन-रात लगे हैं। एक हजार कर्मचारियों ने सालभर 10 अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम किया है।

200 कर्मचारियों ने पिछले 40 घंटे नॉन-स्टॉप मेहनत कर इस कीर्तिमान को स्थापित किया है।इस कार्य के दौरान कर्मचारियों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा गया है। भट्टी वाले शेड में एक विशेष प्रकार की ड्रेस पहनने के बाद ही प्रवेश दिया जाता था। कास्टिंग वाले दिन कर्मचारियों को 10 किलो ग्लूकोज और गुड का पानी पीने को दिया गया ताकि हीट का असर उन पर कम से कम हो। इस कार्य में अब तक 65 हजार लीटर डीजल और 600 एलपीजी सिलेंडरों को उपयोग में लिए जा चुका है।