बीजेपी सरकार की खेल नीति...
‘स्पोर्ट्स हब’ के रूप में उभरता मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश बदल गया है। ‘बीमारू’ राज्य की श्रेणी से जितनी तेजी से प्रदेश बाहर आया है, उसके पीछे की सोच और अथक परिश्रम के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को श्रेय जाता है।
प्रदेश में वैसे तो बिजली, पानी, सड़क, अस्पताल जैसी सुविधाओं का उन्नयन और क्रमिक विकास हुआ है, लेकिन खेल का क्षेत्र ऐसा है जिसमें मध्य प्रदेश ने उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है। हालांकि इसके बारे में मीडिया में चर्चा कम ही होती है।
पिछले कुछ वर्षों से मध्य प्रदेश के एथलीट राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश और प्रदेश का नाम रौशन कर रहे हैं। पहले राज्य को केवल क्रिकेट, निशानेबाजी और हॉकी के लिए जाना जाता था। लेकिन शिवराज सरकार की सभी खेलों को बढ़ावा देने की स्पष्ट नीति से प्रदेश में खेल के लिए एक अलग माहौल तैयार हुआ है। अब प्रदेश के खिलाड़ी सभी खेलों में अपना दमखम दिखा रहे हैं और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत रहे हैं। हाल में ही चीन के हांगझू में आयोजित एशियन गेम्स में प्रदेश के कई एथलीटों ने अपने प्रदर्शन से देश का मान बढ़ाया।
चीन के हांगझू में 23 सितंबर से 8 अक्टूबर तक आयोजित हुए 19वें एशियाई खेलों में विभिन्न भारतीय टीमों का प्रतिनिधित्व करने के लिए राज्य के कुल 25 खिलाड़ियों का चयन किया गया था। एशियन गेम्स के लिए एथलीटों के विभिन्न खेलों के लिए हुए चयन पर खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा था कि राज्य के उत्कृष्ट खेल प्रबंधन और एथलीटों के समर्पित प्रयासों के कारण मध्य प्रदेश बड़ी तेजी से देश में एक स्पोर्ट्स हब के रूप में उभर रहा है।
एशियन गेम्स में प्रदेश के एथलीटों का शानदार प्रदर्शन रहा। हांगझू में मेडल जीतने वाले मध्य प्रदेश के एथलीटों में खरगोन जिले के शीर्ष राइफल निशानेबाज ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय पुरुष टीम के साथ दो स्वर्ण और दो विश्व रिकॉर्ड सहित चार पदक जीते।
अन्य सितारों में भोपाल की राइफल निशानेबाज आशी चौकसे (जिन्होंने टीम रजत और व्यक्तिगत कांस्य पदक जीता), भोपाल की ट्रैप निशानेबाज मनीषा कीर, जिन्होंने टीम रजत पदक जीता, देवास जिले की नेहा ठाकुर जिन्होंने नौकायन में रजत पदक जीतकर इतिहास मे अपना नाम दर्ज कराया।
इसके अलावा इंदौर की सुदीप्ति हजेला 41 साल बाद गोल्ड जीतने वाली महिला घुड़सवारी टीम का हिस्सा थीं। शहडोल जिले की रहने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्ट्राइक बॉलर पूजा वस्त्राकर को कौन नहीं जानता। वह इतिहास रचने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा थीं जिसने एशियन गेम्स में क्रिकेट में गोल्ड मेडल जीता।
अभी गोवा में नेशनल गेम्स चल रहा है। वहां भी मध्य प्रदेश के एथलीटों का जलवा जारी है। नवंबर 8, 2023 तक मध्य प्रदेश 95 मेडल के साथ चौथे पर स्थान था। इसमें 31 गोल्ड, 33 सिल्वर और 31 ब्रॉन्ज मेडल शामिल है। मध्य प्रदेश से आगे सिर्फ महाराष्ट्र सर्विसेज़ और हरियाणा की टीमें थी।
खेल के क्षेत्र में अधिक ऊंचाइयां हासिल करने की क्षमता मध्य प्रदेश में अचानक से नहीं आई है। इसका क्रमिक विकास हुआ है और इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार का महत्वपूर्ण योगदान है।
उदाहरण के लिए, 2007 के नेशनल गेम्स, मध्य प्रदेश 63 पदकों के साथ कुल मिलाकर 12वें स्थान पर रहा, जिनमें से केवल 12 स्वर्ण थे। पंद्रह साल बाद, 2022 में गुजरात में आयोजित गेम्स में राज्य 20 स्वर्ण सहित 66 पदकों के साथ सातवें स्थान पर रहा और अब चौथे पायदान पर है। पदकों की बढ़ती संख्या साबित करती है कि मध्य प्रदेश की खेल नीति सही दिशा में बढ़ रही है।
आज, प्रदेश का खेल और युवा कल्याण विभाग 10 से ज्यादा खेल अकादमियां चला रहा है, जिनमें से अकेले भोपाल में छह हैं : शूटिंग, इक्वेस्ट्रियन खेल, घुड़सवारी, मार्शल आर्ट, पुरुष हॉकी और एथलेटिक्स। महिला हॉकी और बैडमिंटन अकादमियां ग्वालियर में स्थापित की गई हैं और तीरंदाजी और क्रिकेट अकादमियां क्रमशः जबलपुर और शिवपुरी में हैं।
अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और शीर्ष राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षकों से सुसज्जित ये अकादमियां मध्य प्रदेश की खेल प्रतिभाओं को प्रारंभिक चरण में पहचानने में मदद करती हैं और उन्हें अपने अनुशासन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए रहने, आहार और प्रशिक्षण प्रदान करती हैं।
इसके अलावा जिला स्तर पर ही नहीं बल्कि उप-जिला, तहसील और ब्लॉक स्तर पर भी कई स्टेडियम हैं जहां मल्टी-स्पोर्ट्स, इनडोर और आउटडोर का प्रशिक्षण की व्यवस्था है। सरकार को इस साल के अंत तक 44 और स्टेडियमों का निर्माण पूरा होने की उम्मीद है। मध्य प्रदेश खेल विभाग स्टेडियम की मौजूदा संख्या 107 से बढ़ाकर 150 करना चाहती है।
सरकारी धन और अत्याधुनिक सुविधाओं से समर्थित, मध्य प्रदेश और विशेष रूप से भोपाल तेजी से भारत के ‘स्पोर्ट्स हब’ में बदल रहा है। पिछले दशक में यहां कई खेल अकादमियां और स्टेडियम खुले हैं। उभरते एथलीटों के प्रशिक्षण के अलावा, बीजेपी सरकार ने राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए एक मंच दिया है।
इसी साल 30 जनवरी को भोपाल के तात्या टोपे स्टेडियम में युवा खेलों का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि "राज्य की खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी" और उन्होंने मध्य प्रदेश के प्रत्येक पदक विजेता के लिए 5 लाख रुपये की घोषणा की थी। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने मध्य प्रदेश में खेल के विकास में पैसों की कभी कमी नहीं आने दी।
जनवरी में किए गए अपने वादे की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने राज्य विधानसभा में 1 मार्च को पेश किए गए 2023-24 के राज्य बजट में, खेलों के लिए आवंटन 738 करोड़ रुपये कर दिए। यह पिछले साल के आवंटित 235 करोड़ रुपये से तीन गुना अधिक है। हालांकि 2022-23 के बजट में आवंटित 235 करोड़ की राशि को बाद में युवा खेलों के आयोजन के लिए बढ़ाकर 476 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
प्रदेश में खेल को बढ़ाने के लिए सरकारी सहायता अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी है। खेल के बुनियादी ढांचे में अप्रत्याशित सुधार के साथ मध्य प्रदेश भारत के स्पोर्ट्स हब के रूप में तेजी से उभर रहा है। भोपाल के नाथू बरखेड़ा में 176 करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर के प्रथम चरण में एथलेटिक और हॉकी स्टेडियम का निर्माण कार्य चल रहा है। दूसरे चरण में 174 करोड़ रुपये की लागत से और अगले चरण में 593 करोड़ रुपये की लागत से बहुउद्देशीय इनडोर स्टेडियम और कई खेल सुविधाएं जल्द ही उपलब्ध होंगी।
कुछ महीने पहले खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा था कि राज्य सरकार की 230 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक में एक इनडोर स्टेडियम और 52 जिलों में से प्रत्येक में एक बहु-विषयक खेल स्टेडियम निर्माण की योजना है। इसके साथ ही प्रदेश के प्रमुख शहरों में स्थित खेल अकादमियों को जिलों में स्थित फीडर केंद्रों से जोड़ने की है।
जिस तरह से मध्य प्रदेश ने अपने खेल और खिलाड़ियों की देखभाल के लिए नीति बनाई है, उससे अन्य राज्य को सीख लेने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2036 ओलंपिक भारत मे आयोजित कराने की बात की है। अगर भारत को खेल महाशक्ति बनना है तो देश के अन्य राज्यों को भी खेल नीति के लिए मध्य प्रदेश मॉडल को अपनाना चाहिए।