जयपुर । प्रदेश के हर जिला अस्पताल में अब वृद्धजनों की सेवा-सुश्रुषा एवं उपचार और बेहतर हो सकेगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में संवेदनशील पहल कर सभी जिला अस्पतालों में वृद्धावस्था विशेषज्ञ इकाई (जीरियाट्रिक वार्ड एवं जीरियाट्रिक क्लिनिक) बनाए हैं। इन्हें रामाश्रय के नाम से जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने राजकीय अस्पतालों में आने वाले वृद्धजनों को सुगमतापूर्वक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए जीरियाट्रिक वार्ड की स्थापना के निर्देश दिए थे। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह ने इस मानवीय पहल को 100 दिवसीय कार्य योजना में शामिल करवाया। चिकित्सा मंत्री के निर्देशों पर 100 दिवसीय कार्य योजना में निर्धारित लक्ष्य को पूरा करते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने 49 जिला चिकित्सालयों में यह सुविधा प्रारम्भ कर दी है।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती शुभ्रा सिंह ने बताया कि प्राय: यह देखा जाता था कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले बुजुर्गों को उपचार को लेकर असहजता महसूस होती थी। इस समस्या के समाधान की दृष्टि से प्रदेश के सभी राजकीय जिला अस्पतालों में जीरियाट्रिक वार्ड शुरू करने का निर्णय लिया गया। 100 दिवसीय कार्य योजना के तहत इस पहल को प्राथमिकता दी गई और अल्प समय में ही 49 जिला अस्पतालों में रामाश्रय तैयार कर क्रियाशील कर दिए गए हैं।श्रीमती सिंह ने बताया कि इन रामाश्रयों में वृद्धजनों के उपचार एवं देखभाल की विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। इन वार्डों में 10 फाउलर बैड होंगे। इनमें से 5 बैड महिला एवं 5 बैड पुरूषों के लिए आरक्षित किए गए हैं। हर बैड के बीच पार्टीशन कर परदे लगाए गए हैं। बैड के पास नर्सिंग अलार्म सिस्टम लगाए गए हैं, ताकि आपात स्थिति में वृद्धजन तुरंत नर्सिंग स्टाफ को बुला सकें। वार्ड में महिला एवं पुरूष रोगियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं। इन शौचालयों में ग्रेब-बार लगाए गए हैं।