नीमच से राजेश भंडारी

नीमच -    संसार में मनुष्य आधुनिकता की अंधी दौड़ में अवसाद से ग्रस्त हो जाता है और तनाव बढ़ा लेता है।  जैन समाज का संयम पंथ ,सन्यास दीक्षा शांति का प्रमुख मार्ग है। संयम दीक्षा आत्मा पर अनुशासन का मार्ग है।
 22 वर्षीय वाणिज्य स्नातकोत्तर मुमुक्षु अंजलि संयम के मार्ग पर अग्रसर है। यह बात आचार्य विश्वरत्न सागर सुरीश्वर जी महाराज साहब ने  पुस्तक बाजार स्थित श्री जैन श्वेतांबर भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर आराधना भवन में बुधवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि दीक्षा के भाव कब जागृत हो जाए कहा नहीं जा सकता है भाव आने के बाद गुरु की निश्रा में धर्म संस्कारों की शिक्षा ग्रहण करने के बाद गुरु द्वारा चयनित मुमुक्षु दीक्षा मार्ग की ओर अग्रसर होते हैं। दीक्षा ग्रहण करने का कोई मापदंड या चयन प्रक्रिया नहीं होती है। दीक्षा मन संसार त्यागने का भाव होने पर ही प्रदान  की जाती है। एक प्रश्न के उत्तर में आचार्य श्री ने बताया कि गुरु की दृष्टि में दीक्षार्थी का चयन होता है, 6 वर्ष की आयु से लेकर किसी भी आयु वर्ग में दीक्षा हो सकती है। अत्यंत छोटे एवं बुजुर्ग या बीमार को दीक्षा नहीं  दी जाती है। जो गुरु को समझने योग्य होता है उसकी योग्यता के अनुसार ही की पृष्ठभूमि को देखकर ही दीक्षा की आज्ञा प्रदान की जाती है। आपराधिक पृष्ठभूमि या सामाजिक कर्ज वाले व्यक्ति को वैराग्य संयम का कोई अधिकार नहीं होता है। वैराग्य का कोई संयम आयु का मापदंड नहीं होता है। संसारी कर्तव्यों के निर्वहन के बाद दीक्षा लेना उत्तम होता है। मृत्यु शाश्वत है। यह किसी भी बहाने से कभी भी आ सकती है। मृत्यु का कोई समय दिन निश्चित नहीं होता है युवा वर्ग हृदयाघात, शुगर ,लकवा , कैंसर जैसी बीमारी से मृत्यु होने के प्रश्न के उत्तर पर संत श्री ने कहा कि आचार्य श्री ने कहा कि फसलों में रासायनिक जहर हानिकारक है। इसी कारण यह रोग युवा वर्ग में फैल रहे हैं ।खानपान पर जैविक खाद का उपयोग बढ़ाना होगा तभी इन रोगों पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। पर्यावरण और गौ माता की रक्षा के लिए युवाओं को जागरूक होना पड़ेगा। प्रकृति दोहन की अंधी दौड़ से बचना होगा। मोबाइल टावर की तरंगे घातक होती है। इनसे भी बचाव के उपाय करना होंगे ।धरती पर गर्मी बढ़ रही है। उद्योग बढ़ रहे है ।इस पर नियंत्रण करने के उपाय करना होंगे। पर्यावरण प्रदूषण को शुद्धता से बचाना होगा। प्रकृति की रक्षा के लिए युवाओं को जागरूक होना पड़ेगा ।जैविक खाद में हिंसा नहीं है जहर भी नहीं है ।जैविक खाद पवित्र और लाभकारी है ।सम्मेद शिखर जैसी परिस्थिति राजनेता बताते हैं वैसी है नहीं। मोबाइल से तनाव और दुख बढ़ रहा है ।हमारे पूर्वज सुखी थे लेकिन आज का युवा परीक्षा के तनाव से ही आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो रहा है चिंतन का विषय है । अपेक्षा  आवश्यकताएं सीमित होगी तो तनाव नहीं बढ़ता है ।पहले युवा वर्ग परीक्षा में फेल होते तो सोचते की मजदूरी कर लेंगे लेकिन आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाते थे ।आज युवाओं को सही मार्गदर्शन का अभाव है इसी कारण युवा आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो जाता है ।संयम जीवन शांति का मार्ग इसमें कई उच्च शिक्षित युवा भी आगे बढ़ रहे हैं ।मन को परिवर्तन करना  तनाव का निवारण करना होता है। संथारा अपने आप में धर्म है। इंसान जन्म को तो देख नहीं पाता है इसलिए बिना दर्द सहे मुक्ति प्राप्त करते हुए मृत्यु को देखना संथारा होता है। संथारा में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता है। आत्मदेह का स्वेच्छा अनुसार त्याग होता है गुरु आज्ञा से ही संथारा होता है ।इस अवसर पर राहुल जैन ने दीक्षा कार्यक्रमों की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। आराधना भवन के लाभार्थी व सचिव श्री कोठारी ने भी कार्यक्रम की जानकारी दी इस अवसर पर ट्रस्टी अनिल नाहटा ,वरिष्ठ राजेश मानव व अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थेश्री जैन श्वेतांबर भीड़ भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष अनिल नागौरी ने कार्यक्रम का धन्यवाद व्यक्त किया।

आज निकलेगा वरघोड़ा-

दीक्षार्थी बहन का विशाल वर्षी दान वरघोड़ाआज आराधना भवन से प्रारंभ होगा जो शहर के प्रमुख मार्गो से होते हुए जैन भवन पहुंचेगा यहां पर अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा।

कल होगी जैन भगवती दीक्षा-

मुमुक्ष बहन कल प्रातः 8:30 बजे जैन भवन मिडिल स्कूल मैदान पर आचार्य श्री से जैन भगवती दीक्षा अंगीकार करेगी।