नीमच से राजेश भंडारी

नीमच ।   मेवाड़ मालवा में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप एकमात्र ऐसे प्रतापी राजा हुए, जिन्‍होंने बादशाह अकबर सहित मुगलों की अधीनता को कभी-भी स्‍वीकार नहीं किया और मुगलों से लोहा लेते रहे। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने अपने देश व संस्‍कृति की रक्षा के लिए न केवल राजमहल को छोड़कर कर जंगल में निवास किया और देश व संस्‍कृति की रक्षा के लिए निरंतर कार्य करते रहे। यह बात साहित्यिक, सांस्‍कृतिक एवं सामाजिक संस्‍था कृति के अध्‍यक्ष इंजीनियर बाबूलाल गौड़ ने कही। वे संस्‍था कृति द्वारा शहर के उप नगर नीमच सिटी के प्रताप चौक में महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित महाराणा प्रताप जयंती के आयोजन में बोल रहे थे। कार्यक्रम की शुरुआत में संस्‍था कृति के पदाधिकारियों व सदस्‍यों ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्‍यार्पण किया। इसके उपरांत श्री गौड़ ने कहा कि संस्‍था कृति ऐसे महान व्‍यक्तित्‍व को नमन करती है एवं देश, प्रदेश व जिले के युवाओं से महाराणा प्रताप का कार्यों एवं उनके बताए सद्कार्यों का अनुसरण करने का आह्वान करती है। इस दौरान संस्था के पूर्व अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह राठौड़ सहित अन्‍य वक्‍ताओं ने भी वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की शौर्य गाथाओं का वर्णन उनकी वीरता व देशभक्ति को नमन किया। इस दौरान सीए दिलीप मित्तल, किशोर जवेरिया, पृथ्वी सिंह वर्मा, ओमप्रकाश चौधरी, भरत जाजू, सत्येंद्र सी. सक्सेना, पुष्पलता सक्सेना, नरेंद्र पोरवाल, श्याम थोरेचा, महेंद्र त्रिवेदी, गणेश खंडेलवाल, शैलेंद्र पोरवाल सहित अन्‍य मौजूद रहे। अंत में आभार कृति के सचिव डॉ विनोद शर्मा ने माना।