सुप्रीम कोर्ट संभल जिला अदालत के 19 नवंबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा, जिसमें संभल में मुगलकालीन मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था।

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई 29 नवंबर की वाद सूची के अनुसार, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ उत्तर प्रदेश के संभल स्थित शाही जामा मस्जिद की प्रबंधन समिति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने वाली है। याचिका में सिविल जज द्वारा पारित 19 नवंबर के आदेश के क्रियान्वयन पर एकपक्षीय रोक लगाने की मांग की गई है।

संभल में अदालत के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार किए गए सर्वेक्षण के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है। अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया, उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था। शीर्ष कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि ऐसे आदेशों से सांप्रदायिक भावनाएं भड़कने, कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा होने और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचने की आशंका है।

संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में गठित आयोग दो माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद व सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी अरविन्द कुमार जैन को आयोग का सदस्य बनाया गया है।

सरकार ने राज्यपाल की सहमति से जांच आयोग का गठन कर चार बिंदुओं पर पड़ताल करने के निर्देश दिए हैं। आयोग घटना के अचानक होने या सुनियोजित व किसी आपराधिक षड्यंत्र का परिणाम होने के पहलुओं की जांच करेगा।

साथ ही जिला प्रशासन और पुलिस की तरफ से घटना के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किए गए प्रबंध और उनसे संबंधित अन्य पहलुओं की भी जांच होगी। उन कारणों एवं परिस्थितियों की पड़ताल होगी, जिसकी वजह से हिंसा हुई। आयोग सरकार को भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के संबंध में सुझाव भी देगा।