इंदौर । प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के रूप में पहचाने जाने वाले इंदौर में लंबे समय से सिर्फ दो उपभोक्ता आयोग काम कर रहे हैं जबकि जरूरत चार की महसूस की जा रही है। हालत यह है कि जिले के 40 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण की जिम्मेदारी जिन उपभोक्ता आयोग के जिम्मे हैं उनमें नियुक्त अध्यक्षों के पास इंदौर के अलावा अन्य जिलों की भी जिम्मेदारी हैं। इंदौर के उपभोक्ता आयोगों में कई मामले ऐसे भी हैं जो पांच साल से ज्यादा समय से लंबित हैं।

इंदौर के जिला उपभोक्ता आयोगों में फिलहाल साढ़े तीन हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं। इनमें से कई आठ-दस साल पुराने भी हैं। उपभोक्ता अधिकारों को लेकर जागरूकता तो बढ़ी लेकिन इस अनुपात में उपभोक्ता आयोगों की संख्या नहीं बढाई गई। हालत यह है कि इंदौर जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक एक के अध्यक्ष सत्येंद्र जोशी के पास इंदौर के साथ ही धार, मंडलेश्वर, बुरहानपुर, खंडवा सहित कई जगहों के उपभोक्ता आयोगों का प्रभारी है। जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक दो की हालत तो और खराब है। यहां सप्ताह में सिर्फ दो दिन सोमवार और मंगलवार को अध्यक्ष आती हैं। अन्य दिनों में उन्हें अन्य जगहों का काम संभालना होता है। इंदौर के अलावा अन्य जिला उपभोक्ता आयोगों में अध्यक्षों की नियुक्ति लंबे समय से नहीं हुई है। इस वजह से यहां के अध्यक्षों को प्रभारी के रूप में वहां का काम संभालना होता है।