पे ग्रेड सहित अन्य मांगों को लेकर पटवारी की हड़ताल व धरना 25वें दिन भी जारी रहा। जबकि क्रमिक भूख हड़ताल धरने को तीन दिन गुजर गए। आम आदमी पार्टी के लोकसभा प्रभारी अश्वेंद्र सिंह छाबड़ा एवं पार्टी अल्पसंख्यक विंग जिलाध्यक्ष एवं अंजुमन सारंगपुर सदर एमए अलीम बाबा कुरैशी एवं पार्टी संगठन ने भी धरना स्थल पर पहुंचकर पटवारियों की मांगो का समर्थन किया।

धरना को संबोधित करते आप लोस प्रभारी श्रीछाबड़ा ने कहा कि सरकार ने हठधर्मिता अपनाकर पटवारियों को मांगों को लेकर संघर्ष करने के लिए मजबूर किया है। सरकार का यह रवैया सही नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार पटवारी की जायज मांगों को पूरा न करके उनके साथ तो अन्याय कर ही रही है। आम जनता को हो रही परेशानियों के लिए भी सरकार जिम्मेवार है।

सरकार बिना किसी देरी के पटवारी की पे-ग्रेड आदि मांगों को पूरा करें। अल्पसंख्यक विंग जिलाध्यक्ष श्रीकुरैशी ने अपने संदेश में एसोसिएशन की मांगों का समर्थन किया है। इस मौके पर पटवारी संघ के कोषाध्यक्ष गगन मोर्य ने बताया कि अपनी मांगो को लेकर म प्र पटवारी संघ द्वारा पूरे प्रदेश मे 28 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है। अपनी मांगो को लेकर पटवारी संघ का आंदोलन दिनो दिन तेज होता जा रहा है बीते तीन दिनों से क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे हैं लेकिन फिर भी सरकार को हमारी कोई चिंता नहीं है। लेकिन हम अपनी मांगो को लेकर धरना स्थल पर डटे हुए हैं और आगे भी डटे रहेंगे।

गुरुवार को पटवारी संघ के तहसील अध्यक्ष मनीष सक्सेना, केएल फूलेरिया, सचिव आत्माराम वर्मा, प्रांतीय प्रतिनिधि शहजाद खान, आशीष पाण्डेय, हेमराज सिंह राजपूत, गणेश प्रसाद अग्रवाल, भारतसिंह भिलाला, अंकित चौहान, गगन मोर्य क्रमिक भूख हड़ताल पर रहे। काम काज हुए पुरी तरह से ठप्प, फसलों का कौन करेंगा सर्वे पटवारियों की हड़ताल से जहां तहसील के राजस्व कार्य पूर्णतया ठप है।

वही किसानों को भी उनके काम के लिए बैरंग वापस जाना पड रहा है। प्रदेश स्तर पर पटवारी लामबंद इसलिए हुए कि पिछले 6 हडतालें शासन द्वारा दिए आश्वासन के बाद समाप्त कर दि गयी। परन्तु इस बार पटवारी मानने वाले नही है। पटवारियों का कहना है कि जब हमे पहले आश्वासन दिया तो उन आश्वासनो पर अमल क्यो नही किया जा रहा है।

पटवारियों का कहना है कि हमे हड़ताल के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने बाध्य किया है। हमारी मांगे जब तक पूर्ण नही होती हड़ताल ओर उग्र होगी। पहले खेतों में खड़ी फसल खराब हुई और सर्वे नहीं हुआ और अब खेतो में कटी फसल जो पानी से खराब हुई है उनका भी सर्वे नहीं हो पा रहा है।