भगवान भोलेनाथ हर संकट को सरलता से दूर करते हैं. ऐसे में लोग देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग व्रत करते हैं. वहीं, इस बार 2024 में नरक निवारण चतुर्दशी का व्रत मनाया जाएगा. जानकारी देते हुए पूर्णिया के पंडित उदय कांत झा (मुन्ना झा) कहते हैं कि मिथिला पंचांग के अनुसार माघ महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तारीख 8 फरवरी को नरक निवारण चतुर्दशी मनाई जाती है. उन्होंने कहा कि इस बार नरक निवारण चतुर्दशी 8 फरवरी को मनाई जाएगी. यह व्रत सभी लोगों के लिए मान्य है. सभी लोग इस व्रत को कर पाएंगे. हालांकि, उन्होंने कहा इस व्रत को करने से पहले कुछ नियम को जानना जरूरी होता है. जिससे अधिक शुभ फल प्राप्त होता है.

पंडित उदय कांत झा ने कहा कि शास्त्रों की मानें तो इस बार नरक निवारण चतुर्दशी 8 फरवरी दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. नरक निवारण चतुर्दशी प्रदोष व्रत है जिसमें भगवान शिव जी की आराधना की जाती है. उन्होंने कहा व्रत करने वाले व्यक्ति को एक दिन पूर्व नहाए खाए के नियमित रूप का पालन करके फिर 8 फरवरी गुरुवार को संपूर्ण व्रत करें और भगवान शिव जी की आराधना करें. साथ ही साथ इस व्रत को करने से शास्त्र के अनुसार उसमें फल की प्राप्ति होती है. उसी दिन भगवान कुशेश्वर महावीर की प्राण प्रतिष्ठा भी हुई थी. इसलिए शास्त्रों में इस दिन को विशेष महत्व दिया गया है.
सभी लोगों को करना चाहिए ये व्रत
नरक निवारण चतुर्दशी व्रत का शास्त्रों में कहना है कि इस व्रत को हर व्यक्ति विवाहित, अविवाहित, बच्चे बूढ़े अपनी श्रद्धा के बलबूते इस व्रत को कर सकते हैं. हालांकि, उन्होंने कहा इस व्रत को करने से नरक यानी सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. नरक यानी कष्ट दुख दरिद्रता का समापन होता है. खासतौर पर इस बार नरक निवारण चतुर्दशी अमृत सिद्धि योग में पड़ने से और भी शुभ फलदायी हैं. इसलिए उन्होंने कहा यह व्रत हम सभी सनातनी को जरूर करना चाहिए.


व्रत के दौरान इन मंत्रों का करें जाप
इस व्रत को करने के दौरान हो सके तो भगवान शिव को प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करें. साथ ही साथ भगवान शिव को खुश करने के लिए जलाभिषेक, रुद्राभिषेक व उनके अनेक मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं. संभव हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या आप पंचक्षार मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करें. निश्चित ही हर मनोकामना और शुभ फल की प्राप्ति होगी. हालांकि, उन्होंने कहा इस पर्व को करने के दौरान आप एक बार दिन में फलाहार कर सकते हैं. सुबह होकर अमावस्या के दिन पारण करें. यही व्रत का विधान है. यह व्रत करने से सभी लोगों का कष्ट निवारण होता है. पुत्र प्राप्ति, धन- धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत का पारण करने के लिए व्रती को गंगाजल या गाय के कच्चे दूध से पारण करना चाहिए.