नागपुर । महाराष्ट्र के नागपुर में एक अस्‍पताल में नवजात को तीन महीने के भीतर तीन बार दिल का दौरा पड़ने का मामला सामने आया है। बच्‍चे ने मां के पेट में नौ महीने के अवधि पूरी नहीं की थी। यह एक प्रीमेच्‍योर बेबी था। इसकारण उसका इलाज शुरू से ही एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में चल रहा था। बच्‍चे को सांस लेने में काफी ज्‍यादा तकलीफ हो रही थी। हालांकि बताया जा रहा है कि अब यह बच्‍चा पूरी तरह से ठीक है। इलाज के बाद नवजात को छुट्टी दे दी गई है और वहां अपने घर लौट गया है। 
बच्‍चे का जन्‍म नागपुर के जीएमसीएच (गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) में हुआ था। बताया गया कि बच्‍चे के फेफड़े वायरल नीमोनिया से डैमेज हो गए थे। बच्चे को दो सप्‍ताह के लिए वेंटिलेटर पर रखा गया था। 90 दिन के अंदर नवजात को तीन बार दिल का दौरा पड़ा। हालांकि तीनों मौकों पर डॉक्‍टरों ने स्थिति पर काबू पाकर बच्‍चे की जान बचा ली। उस विषय पर डॉक्‍टरों का कहना है कि समय से पहले जन्‍म लेने वाले बच्‍चे या मां के पेट में संक्रमित हो जाते हैं। जन्‍म के बाद भी उनके संक्रमित होने का खतरा काफी अधिक होता है। 
जीएमटीएच के डॉक्‍टर ने बताया कि इसतरह के केस में बच्‍चे को ज्‍यादा एंटीबायोटिक नहीं दी जा सकती है। लिहाजा बच्चे को वेंटिलेटर पर रखने का निर्णय लिया गया। दो सप्‍ताह तक वहां वेंटिलेटर पर था।  उसका सीएमवी टेस्‍ट किया जाना था लेकिन वहां अस्‍पताल में उपलब्‍ध ही नहीं था। फिर नवजात के माता-पिता की सहमति से बच्चे को क्‍लैनसिक्‍लोविर इंजेक्‍शन दिया गया। बताया गया कि सीएमवी टेस्‍ट काफी महंगा होता है। काफी लोग इस टेस्ट का खर्च नहीं उठा पाते हैं।