और नहीं कुछ तुमसे कहना, जीवनसाथी साथ में रहना। ऐसी ही चाह और उम्मीदों के साथ डाल्टनगंज की डिंकी अग्रवाल ने राजगंज के जरमुनई निवासी मनीष अग्रवाल के साथ अग्नि के समक्ष सात फेरे लिए थे। उसने भी जीवन भर साथ निभाने का वादा किया, पर डिंकी को क्या मालूम था कि निर्मोही उसे घर से निकाल देगा। इतने दर्द देगा कि उसे जहर पीना पड़ेगा।

अंतिम यात्रा में भी नहीं नसीब हुआ पति का साथ

शादी की सालगिरह के दिन उसने जिंदगी को अलविदा कह दिया। अंतिम यात्रा में भी मनीष नहीं आया। मंगलवार को गांव के कमलेश सिंह ने डिंकी के ससुराल के लोगों से बात की। इसके बाद मनीष के बड़े भाई शंभू अग्रवाल ने अंतिम संस्कार किया।

रविवार को विवाहिता ने अपने मायके में जहर खा लिया था। रोती बिलखती उसकी मां शोभा देवी सोमवार की रात उसकी ससुराल आई। इसके पूर्व ही सास-ससुर घर में ताला बंद कर चले गए। वह शव को मनीष के दरवाजे पर रखकर चली गई थी ताकि अंतिम यात्रा में तो पति का साथ नसीब हो जाए।


मायके में ही जहर खाकर दी जान

मां शोभा कहना था कि अप्रैल से ही वह मायके में रह रही थी। रविवार को शादी की सालगिरह पर मनीष ने आने का वादा किया था। डिंकी बहुत खुश थी। उसने श्रृंगार किया था, यह सोचकर कि मनीष आकर अब उसके जीवन में खुशियां भरेगा, उसे साथ ले जाएगा। पर वह नहीं आया। तब उसने जहर खा लिया। उसकी हालत खराब हुई तो स्वजन अस्पताल ले गए, वहां उसकी जान चली गई।

खुशियों ने नहीं पकड़ा डिंकी का दामन

विवाह के दिन से अंतिम समय तक अपने जीवनसाथी को पाने की डिंकी जद्दोजहद करती रही। मनीष कोलकाता में कपड़ा फैक्ट्री में काम करता है। दोनों की शादी 26 नवंबर, 2020 में हुई।

शादी के बाद से ही अनबन होने लगी। इसके बाद पति जबरन मायके छोड़ गया। उसका हर सपना टूटता गया। कलेजा छलनी हो गया। हिम्मत कर अगस्त 2021 में डिंकी मां को लेकर ससुराल गई।