नई दिल्ली । एयर इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी और प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन का ने कहा ‎कि भारत के आसपास की कई विमानन कंपनियां एयर इंडिया की कमजोरी के कारण बची हुई हैं लेकिन अब विमानन कंपनी के पास उनसे बाजार वापस प्राप्त करने और देश को लोगों के लिए यात्रा का केंद्र बनाने का अवसर है। विल्सन ने यह बात हाल ही में चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म पीकेएफ श्रीधर एंड संतानम की 45वीं वर्षगांठ के समारोह में कहा ‎कि एयर इंडिया के निजीकरण के समय एक देश के रूप में भारत के पास चौड़ी बॉडी वाले 43 विमान थे जबकि दुबई के पास 250, सिंगापुर के पास 150 और कतर के पास 175 विमान थे। यह एयर इंडिया के लिए छोटा स्तर है और उसके पास आगे बढ़ने का अवसर है। एमिरेट्स, कतर एयरवेज, एतिहाद एयरवेज और सिंगापुर एयरलाइंस जैसी विमानन कंपनियां इस क्षेत्र में अपने केंद्रों के जरिये भारत से अंतरराष्ट्रीय यातायात की भरपूर सेवा प्रदान करती हैं। बी787 और ए350 जैसे चौड़ी बॉडी वाले विमानों में ईंधन के बड़े टैंक होते हैं जो लंबी दूरी की उड़ान सुविधा देते हैं। प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के बाद जनवरी 2022 में एयर इंडिया को टाटा को बेच दिया गया था। जुलाई 2022 में एयर इंडिया की कमान संभालने वाले विल्सन ने विमानन कंपनी के लिए एमिरेट्स, कतर एयरवेज, सिंगापुर एयरलाइंस और ब्रिटिश एयरवेज जैसी सेवा, उत्पाद गुणवत्ता तथा आतिथ्य का स्तर हासिल करने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि भारत से जुड़ी कई विमानन कंपनियां भारतीय बाजार में अपना अस्तित्व बचाए रखने में कामयाब रहीं। ‎‎विशेष तौर पर उन्हें एयर इंडिया की कमजोरी से भी भारतीय बाजार में डटे रहने में मदद मिली।