झारखंड हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्री के भाई सहित अन्य 22 की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें निचली अदालत ने मानगो नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आरोपित बनाए जाने का आदेश दिया था। सभी की ओर से हाईकोर्ट में निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी।

हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया

अदालत ने सभी को सीआरपीसी धारा 319 (आरोपित बनाने) के तहत नोटिस जारी कर आरोपित बनाने का आदेश दिया था। पूर्व में सभी की ओर से बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि निचली अदालत का आदेश बिल्कुल सही है। इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। सभी को निचली अदालत में ट्रायल फेस करना होगा।

कोर्ट में पीड़िता ने सभी आरोपितों का लिया था नाम

पिछली सुनवाई के दौरान पीड़ित की ओर से अधिवक्ता देवेश आजमानी की ओर से कहा गया कि पीड़िता ने जमशेदपुर एसएसपी को नवंबर 2017 में आवेदन दिया था, लेकिन दो माह बाद जनवरी 2018 में प्राथमिकी दर्ज की गई। प्राथमिकी के बाद बयान में पीड़िता ने सभी आरोपितों का नाम लिया था। इसके अलावा कोर्ट में गवाही के दौरान भी पीड़िता ने पूरी घटना के बारे में जानकारी दी। ऐसे में निचली अदालत का आदेश बिल्कुल सही है। इससे पहले निचली अदालत की ओर से आरोपित बनाए जाने के आदेश को चुनौती देने वाले 16 आरोपितों की ओर से बहस पूरी कर ली गई है।

नाबालिग संग कई लोगों ने किया दुष्‍कर्म

बता दें कि पीड़िता की मां ने गुड्डू गुप्ता, तत्कालीन डीएसपी अजय केरकेट्टा और तत्कालीन एमजीएम थाना प्रभारी इमदाद अंसारी सहित 22 लोगों को आरोपित बनाने के लिए जमशेदपुर की अदालत में आवेदन दिया था। कोर्ट ने आवेदन को स्वीकार करते हुए सभी 22 को मामले में आरोपित बनाते हुए मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। इसके खिलाफ स्वास्थ्य मंत्री भाई गुड्डू गुप्ता सहित 16 आरोपितों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। बता दें कि यह घटना 19 जनवरी 2018 का है। पीड़िता ने अदालत में दर्ज कराए गए बयान में कहा था कि उसके साथ डीएसपी और थानेदार सहित कई लोगों ने दुष्कर्म किया है।