जयपुर । बच्चों में असुरक्षित स्पर्श के प्रति जागरूकता से समाज में ‘चाइल्ड अब्यूज‘ की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए ‘सुरक्षित स्कूल सुरक्षित राजस्थान‘ अभियान का दूसरा चरण ‘नो बैग डे‘ के तहत प्रदेश के 65 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में एक साथ आयोजित किया गया। सभी सरकारी स्कूलों में इस अभियान के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त टीचर्स (मास्टर ट्रेनर्स) द्वारा बच्चों को ‘बैड टच‘ का मुकाबला करते हुए खुद को सुरक्षित रखने के लिए ‘नो-गो-टेल‘ की थ्योरी बताई गई।
जयपुर में स्कूल शिक्षा विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने निजी स्कूलों के बच्चों में भी असुरक्षित स्पर्श की अवेयरनेस क्रिएट करने के लिए प्रताप नगर स्थित माहेश्वरी पब्लिक स्कूल में आयोजित विशेष सत्रों में विद्यार्थियों को प्रेजेंटेशन और स्टोरीज के माध्यम से ‘बैड टच‘ की पहचान के तरीके समझाएं।  शासन सचिव ने ‘टीम स्पर्श के सदस्यों के साथ स्पेशल सेशन में बताया कि किस प्रकार सजग और सावधान रहते हुए बुरी नजर और गलत नीयत वाले लोगों के इरादों को छकाया जा सकता है। उन्होंने प्रेजेंटेशन के दौरान बच्चों से सीधा और सतत संवाद करते हुए बताया कि टच किस इमोशन के साथ किया जा रहा है, इसकी पहचान ‘सिक्स्थ  सेंस‘ का इस्तेमाल करते हुए की जा सकती है। गुड टच और बैड टच में भेद करने की क्षमता भगवान ने सभी को प्रदान की है। ‘गुड टच‘ से बच्चों में सुरक्षा और सुविधा (सेफ्टी और कम्फर्ट) तथा ‘बैड टच‘ से असुरक्षा एवं असुविधा (इनसिक्योरिटी एवं डिस्कम्फर्ट) की फीलिंग आती है। उन्होंने व्यवहारिक जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी घटनाओं और किस्सों से बच्चों को मोटिवेट और एंगेज रखते हुए बैड टच की स्थिति में चिल्लाते हुए ‘नो‘ बोलकर उस स्थान या व्यक्ति से सावधानी के साथ दूर भागने (गो) और इसके बारे में बिना किसी डर या घबराहट के किसी बड़े या जिस पर उनको सबसे ज्यादा भरोसा हो, को इसके बारे में बताने (टैल) की ‘नो-गो-टैल की थ्योरी की बारीकियां सिखाई। इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) श्री राजेन्द्र हंस और स्कूल की प्रिंसिपल रीटा भार्गव सहित, टीचर्स, पेरेंट्स और गणमान्य लोग मौजूद रहे।