पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया व मुसाबनी वन क्षेत्र में बीते दिनों हुई सात हाथियों की मौत का मामला अब भारत सरकार तक पहुंच गया है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा गठित टीम ने रविवार को मुसाबनी व चाकुलिया का दौरा कर घटनास्थल की जांच की। हाथियों की मौत कैसे हुई, इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं व इसे कैसे रोका जा सकता है, इन्हीं तीन बिंदुओं पर मुख्य रूप से जांच की गई

जांच में ये सभी रहे शामिल
जांच टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए व ग्रामीणों से बातचीत कर जानकारी ली। जांच दल में वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के संयुक्त निदेशक एचवी गिरीशा, बोर्ड के सदस्य एन. लक्ष्मीनारायण, वन विभाग (झारखंड सरकार) के वन संरक्षक, रांची पीआर नायडू व बिजली विभाग मुख्यालय (रांची) के जीएम मंतोषमनी सिंह के अलावा जमशेदपुर की डीएफओ ममता प्रियदर्शी, चाकुलिया रेंजर दिग्विजय सिंह, विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता दीपक कुमार, कार्यपालक अभियंता राजकिशोर व सहायक अभियंता अमरजीत प्रसाद शामिल थे

पांच हाथियों की मौत पर गंभीर भारत सरकार
वन्य जीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के संयुक्त निदेशक गिरीशा ने बताया कि हाथियों की मौत को लेकर भारत सरकार गंभीर है। इसकी जांच के लिए गृह मंत्रालय द्वारा टीम गठित की गई है, जिसमें केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार के भी पदाधिकारी शामिल हैं। मुख्य तौर पर हम यह देख रहे हैं कि हाथियों की मौत कैसे हुई। मुसाबनी स्थित घटनास्थल के अवलोकन से यह स्पष्ट हो गया कि वहां सभी पांच हाथियों की मौत विद्युत स्पर्शाघात से हुई है, लेकिन चाकुलिया में हाथियों को करंट लगने व मौत होने की जगह अलग-अलग है इसलिए यहां विस्तृत जांच की जा रही है।

करंट लगने से हुई थी हाथियों की मौत
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी अध्ययन किया जाएगा। भविष्य में हाथियों की मौत इस तरीके से न हो, इसके लिए सुझाव के साथ टीम अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेगी। उन्होंने विद्युत विभाग एवं वन विभाग को आपसी समन्वय के साथ काम करने की नसीहत भी दी। बता दें कि इसी माह करंट लगने से चाकुलिया वन क्षेत्र में दो व मुसाबनी में पांच जंगली हाथियों की मौत हो चुकी है।