नई द‍िल्‍ली । देश भर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्‍स (एम्स) के नाम को बदलने की मांग उठ रही है। लेक‍िन इसके विरोध में एम्‍स फैकल्टी खुलकर सामने आ गई है। इस लेकर एम्स के डॉक्टरों की फैकल्टी एसोसिएशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र भी ल‍िखाकर सभी 23 एम्‍स के नाम बदलने का सर्वसम्‍मत‍ि से व‍िरोध क‍िया है।
दरअसल मोदी सरकार ने दिल्ली सहित सभी 23 एम्स का नाम स्थानीय नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों, क्षेत्र की ऐतिहासिक घटनाओं अथवा स्मारकों के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा है। सूत्रों की माने तब केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सुझाव भी मांगे गए थे।
इसके बाद अधिकतर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने नामों की सूची सौंप दी थी। अधिकांश एम्स ने सुझाए गए नामों के लिए व्याख्यात्मक नोट के साथ तीन से चार नामों का सुझाव दिया है। लेक‍िन अब एम्‍स फैकल्‍टी ने एम्‍स के नाम बदलने पर कड़ी आपत्‍त‍ि जाहिर की है। इसका सर्वसम्‍मत‍ि से व‍िरोध जताकर स्‍वास्थ्‍य मंत्री को पत्र भी ल‍िखा है। एम्‍स के आध‍िकार‍िक सूत्रों का कहना है क‍ि एम्स अपने सामान्य नाम से जाने जाते हैं और केवल उनके विशिष्ट स्थान से उन्हें पहचाना जाता है। पीएमएसएसवाई के पहले चरण के तहत बिहार (पटना), छत्तीसगढ़ (रायपुर), मध्य प्रदेश (भोपाल), ओडिशा (भुवनेश्वर), राजस्थान (जोधपुर) और उत्तराखंड (ऋषिकेश) को मंजूरी दी गई थी. इनका संचालन पूरी तरह शुरू भी हो चुका है। वहीं, 2015 और 2022 के बीच स्थापित 16 एम्स में से 10 संस्थानों में एमबीबीएस की पढ़ाई और ओपीडी की सेवाएं भी शुरू की गई हैं, जबकि अन्य दो में केवल एमबीबीएस कक्षाएं शुरू की गई हैं। शेष चार संस्थान निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।