मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को यह दावा करने के लिए फटकार लगाई है कि वह पिछले साल अपनी नाबालिग बेटी को अवैध रूप से नीदरलैंड से भारत लाया था क्योंकि उन दोनों को उसकी अलग रह रही पत्नी, एक डच नागरिक के परिवार के सदस्यों द्वारा नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा था।न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ ने बुधवार को पारित एक आदेश में कहा कि व्यक्ति द्वारा अपनाई गई नस्लीय भेदभाव की दलील "पूरी तरह से खोखली और एक दिखावटी याचिका थी"।

अदालत ने कहा, "भारत निस्संदेह नस्लीय भेदभाव के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के लिए जाना जाता है। उस व्यक्ति ने याचिकाकर्ता (महिला) और उसके साथी नागरिकों की नजर में भारत और उसके नागरिकों की छवि खराब की है।" इसमें कहा गया कि ऐसा आचरण अनैतिक है।अदालत एक डच नागरिक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने अपनी पांच साल की बेटी की कस्टडी उसे सौंपने की मांग की थी।

याचिका के अनुसार, महिला के पूर्व पति ने नीदरलैंड की एक अदालत द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन किया, जिसने उसे बच्चे की कस्टडी प्रदान की थी। कथित तौर पर वह व्यक्ति अगस्त 2023 में बच्चे को नीदरलैंड से भारत लाया और महिला को बच्चा वापस करने से इनकार कर दिया। बाद में उन्होंने मुंबई की फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर बच्चे की स्थायी कस्टडी की मांग की।उस व्यक्ति ने दावा किया था कि उसे और उसकी बेटी को नस्लीय भेदभाव का शिकार होना पड़ा और इसलिए अब बच्चे में डर पैदा हो गया है और वह नीदरलैंड लौटने को तैयार नहीं है।