हिमाचल में हो रही बारिश के बाद चीका में फिर से बाढ़ का खतरा बन गया है। क्योंकि चीका से गुजर रही मारकंडा और घग्गर नदी फिर से उफान पर आ गई है। मंगलवार रात के बाद आधा दर्जन से अधिक गांवों के खेतों में पानी घुस गया है। इस कारण ग्रामीणों में फिर से चिंता बनी है कि कहीं बाढ़ न आ जाए। मंगलवार को गांव सिहाली, भूंसला, रत्ता खेड़ा घड़ाम, मोहनपुर और बुडनपुर में खेतों में जलभराव हो गया। इस कारण दोबारा लगाई गई धान की फसल फिर से डूब गई है।

अब इन गांवों के खेतों में तीन से चार फुट पानी हो चुका है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के प्रति रोष है। बता दें कि बुधवार को फिर से मौसम खराब हो गया है। वहीं, चीका से गुजर रही घग्गर नी का जलस्तर भी फिर से बढ़ गया है। यह जलस्तर 20.9 फुट पर पहुंच गया है। कई गांवों में पानी सड़क पर आ गया है। गौरतलब है कि एक महीने पहले भी चीका में आई बाढ़ के बाद ग्रामीण अपने घरों में दुबकने को मजबूर हुए थे। अब यहां पर फिर से वही स्थिति बनने लगी है। यदि जिला प्रशासन ने पानी को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया तो फिर से बाढ़ इन गांवों में आएगी। 

वहीं, चीका की एसडीएम का कहना है प्रशासन पानी को रोकने के लिए पूरी तरह से सतर्क है। ग्रामीणों से पूरी जानकारी पानी की स्थिति को लेकर ली जा रही है। 

वहीं, मौसम ने चिंता बढ़ा दी है। सुबह से ही आसमान में बादल छाए हुए हैं और तेज हवाएं चल रही है। आसमान में बारिश के आसार बने हुए हैं। लेकिन 11 बजे तक बारिश नहीं हुई। मंगलवार को जिले में कई जगहों पर तेज बारिश हुई। बारिश के चलते गांव नरड़ में एक मकान की छत गिर गई। जिससे दोपहर के समय छत के नीचे सोया परिवार बाल बाल बच गया।

बारिश के बाद किसानों के चेहरे खिल उठे। किसानों ने कहा कि इस समय बारिश की सख्त आवश्यकता थी। जो समय पर हुई है। बारिश से धान की फसलों को फायदा होगा। जो धान देरी से लगी है उसमें अच्छी फूट होगी। बीते दिन हुई बारिश के बाद तापमान में दो डिग्री सेल्सियस गिरावट दर्ज की गई है। बुधवार को अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। बुधवार का बारिश होने की संभावना है। वीरवार से मौसम साफ रहेगा।