19 साल की हर्षदा शरद गरुड़ ने सोमवार को वह उपलब्धि हासिल की जिसे देश का कोई भी भारोत्तोलक अब तक नहीं छू पाया। वडगांव की भारोत्तलक हर्षदा हेरिकलिओन में 45 किलो में जूनियर विश्व चैंपियन बनीं, ऐसा करने वाली वह देश की पहली भारोत्तोलक हैं। स्वर्ण पदक जीतने के बाद हर्षदा भावुक हो गईं। उन्होंने अपने पिता शरद गरुड़ का सपना पूरा किया है। पिता भी भारोत्तोलक थे और महाराष्ट्र के लिए खेले, लेकिन घर के हालात ऐसे नहीं थे कि वह भारोत्तोलन में ऊंचाईयां छू पाते। उनका देश के लिए खेलने का सपना था, लेकिन उनकी बेटी ने अब देश के लिए जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीता है।