बूंदी । राजस्थान के बूंदी राजघराने का संपत्ति विवाद 14 साल बाद खत्म हो गया है। संपत्ति का विवाद दोनों पक्षों के समझौते के बाद हुआ। अब राजघराने की संपत्ति पर पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह का अधिकार होगा। संपत्ति को लेकर जितने भी मुकदमे थे उनको वापस लेने पर भी सहमति बन गई है। दोनों पक्षों ने दिल्ली हाई कोर्ट में समझौते की याचिका 1 अप्रैल को लगाई। हाई कोर्ट में दोनों की याचिका पर 2 अप्रैल को सुनवाई हुई इसमें इस पर सहमति बनी है।
हाई कोर्ट में वकील ने बताया अविनाश चांदना की ओर से स्व महाराज रणजीत सिंह की संपत्ति को लेकर किए गए दावों का दोनों पक्षों में लिखित समझौता हो गया है। चांदना के उत्तराधिकारियों को पूरे मामले में खर्च के तौर पर डेढ़ करोड़ रुपये देने पर सहमति बनी है। समझौते के तहत अविनाश चांदना की पत्नी किरण चांदना को 50 लाख, बेटे समीर को 50 लाख, सुनील चांदना को 50 लाख मिलेंगे। बैंकों के माध्यम से 30 मार्च को ही डीडी बना लिए गये हैं। चूंकि याचिकाकर्ता के समीर, सुनील, किरण ही उत्तराधिकारी हैं। इन्होंने पूर्व के सभी मामलों का समझौता कर लिया है। बूंदी की पूर्व रियासत के अंतिम महाराजा महाराव बहादुर सिंह थे। उनके बेटे युवराज रणजीत सिंह और बेटी महेंद्रा कुमारी थीं। बहादुर सिंह का निधन 24 नवंबर 1977 में हो गया था। रणजीत सिंह उत्तराधिकारी के रूप में बूंदी की राजगद्दी पर बैठे। रणजीत सिंह की कोई संतान नहीं थी और पत्नी का भी निधन हो गया था। बहन महेंद्रा कुमारी का विवाह अलवर में हुआ। बूंदी राजघराने रूल ऑफ प्रिमिजीनेचर होने से रणजीत सिंह ही एकमात्र वारिस बचे थे लेकिन महेंद्रा कुमारी ने बूंदी रियासत की संपत्ति के बंटवारे का दावा वर्ष 1986 में पेश किया। वाद के दौरान उनका भी स्वर्गवास हो गया था।