जयपुर। चार साल के बाद भी पुलवामा आतंकी हमले के जख्म भरे नहीं हैं। इसका दर्द झेल रहे कई परिवार आज भी अपनी मांगों को लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। राजस्थान के कुछ परिवारों का ऐसा ही कुछ हाल  है, जिन्हें सरकार के वादों के बाद भी अब तक कोई मदद नहीं मिली है। पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों की वीरांगनाएं आज भी अपनी मांगों को लेकर भटक रही हैं। 4 साल पहले सरकार ने शहीदों के परिजनों को नौकरी समेत कई आश्वासन दिए थे। इन्हीं मांगों के पूरा नहीं होने पर वीरांगनाएं और उनके परिजन सांसद किरोड़ीलाल मीणा के साथ जयपुर पहुंचे। यहां विधानसभा के मुख्य गेट पर धरने पर बैठ गए, इसके बाद पुलिस ने जबरन सांसद और वीरांगनाओं को उठा दिया। इसके बाद किरोड़ीलाल मीणा, वीरांगनाओं व परिजनों के साथ शहीद स्मारक पर पहुंचे और वहीं धरना देने लगे।
  सांसद किरोड़ीलाल की गृह राज्यमंत्री राजेंद्र यादव से दो दौर की वार्ता हुई, लेकिन मांगों पर ठोस आश्वासन नहीं मिलने पर सांसद किरोड़ीलाल और वीरांगनाओं ने शहीद स्मारक पर ही धरना दे दिया और वहीं सो गए। शहीदों के परिजनों का आरोप है कि सरकार ने उनके द्वारा किया हुआ वादा अब तक पूरा नहीं किया है।
  पुलवामा हमले में शहीद रोहिताश लाम्बा की पत्नी मंजु जाट, जो कि जयपुर के शाहपुरा तहसील के गोविन्दपुरा गांव की निवासी है। उनका कहना है कि पति के अंतिम संस्कार में राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री शांति कुमार धारीवाल, प्रतापसिंह खाचरियावास और लालचन्द कटारिया ने पहुंचकर शहीद रोहिताश के छोटे भाई जितेन्द्र लाम्बा को अनुकंपा नियुक्ति राज्य सरकार के नियमों में मुख्यमंत्री द्वारा शिथिलता प्रदान करके दी जाएगी। मगर शहीद के भाई द्वारा नियुक्ति हेतु आवेदन करने के बाद से फाइल सैनिक कल्याण बोर्ड में पड़ी हुई है। परिवार वाले दर-दर भटक रहे हैं। कई बार आश्वासन के बाद भी अभी तक नियुक्ति नही दी गई है। सरकार द्वारा स्‍मारक नहीं बनाने पर घरवालों ने स्वयं अपने खर्चे से स्मारक बनवाया है।
  कोटा जिले के सांगोद तहसील के विनोदकला गांव के शहीद हेमराज मीणा की पत्नी मधुबाला ने बताया कि पति के अंतिम संस्कार में राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्रियों ने सांगोद के अदालत चौराहे के बीच में शहीद की प्रतिमा लगाने और चौराहे का नाम शहीद के नाम पर करने का ऐलान किया था। उन्‍होंने आरोप लगाया कि यह वादा 4 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ है।