बिहार में 50 मरदसों की मान्यता रद्द कर दी गई है. दरभंगा जिले के अलग-अलग प्रखंड में सबसे ज्यादा 32 मदरसों को रद्द किया गया है. साथ ही सभी मदरसों के शिक्षकों के वेतन को रोक दिया गया है. इस बड़ी कार्रवाई से मदरसा संचालकों और शिक्षकों में हडकंप मच गया है. आइए इस ऑर्टिकल में पूरा मामला जानते हैं.

दरअसल, पटना हाई कोर्ट से पारित आदेश के आलोक में गठित तीन सदस्यीय समिति के जांच प्रतिवेदन पर बिहार के 50 मदरसा की प्रस्वीकृति रद्द करने को कहा गया है. इसमे सबसे अधिक दरभंगा जिला के 32 अनुदानित मदरसों की प्रस्वीकृति रद्द करने की अनुसंशा की गई है. माध्यमिक शिक्षा पटना के विशेष निदेशक सचिन्द्र कुमार ने इस सबंध में बिहार मदरसा बोर्ड के सचिव को पत्र भेजकर कर 32 मदरसा शिक्षकों के वेतानानुदान स्थगित करने को कहा है. विभागीय स्तर पर गठित समिति की अनुशंसा के आधार पर 29 नवंबर 1980 के संकल्प संख्या-1090 में निहित प्रस्वीकृति की शर्तों में ये मदरसों की आधारभूत संरचना, भूमि ,समान स्तर से मदरसों की दूरी की कमी की वजह से प्रस्वीकृति रद्द करने का निर्देश दिया गया है. 

इन मदरसों की मान्यता हुई रद्द
बता दें कि पटना हाई कोर्ट में सीडब्लू जेसी 20406/2018 के जरिए से मोहम्मद अलाउद्दीन बिस्मिल की तरफ से याचिका दायर में 24 जनवरी 2023 के पारित आदेश पर कारवाई की गई है. दरभंगा जिले के 32 मदरसा की प्रस्वीकृति रद्द के सूची में सिंहवाड़ा प्रखंड अंतर्गत रामपुरा मदरसतुल बनात सखावतिया और अज्ञासपुर में मदरसा सैफुल इस्लाम, जाले में नरौछ धाम के मदरसा दारूल बनात और जहांगीर टोला में मदरसा इस्लामिया बहरूल उलूम, सदर प्रखंड के बड़ी भलनी में मदरसतुल सालेहाल, भलनी में मदरसा तालिमुल इस्लाम, मदरसतुल बनात फारूकिया और लोआम में मदरसतुल सालेहात, छोटाई पट्टी में मदरसा दिनियां रामपुर और मदरसा जामेतुल बनात, काबरिया,अलीनगर प्रखंड के घमसाइन मोमिन टोल में मदरसा दारूल बनात के साथ मिसवाहुल उलूम को रद्द किया गया है.

मदरसा मसीहा दारूल बनात बघेला और मोतीपुर मिर्जापुर में मदरसा नसीमियां बनात, गौड़ा बौराम के नारी में मदरसा उस्मानियां निसवा और आसी में मदरसा तालिमुल कुरान, केवटी के शेखपुरा डगरवाड़ा में मदरसा इस्लामिया, बाबू सलीम पुर में मदरसा मदरसतुल बनात. इसके साथ ही रजौड़ा में मदरसा इस्लामिया, घनश्यामपुर के पड़री में मदरसा कादरिया और शाहपुर गनौन में मदरसा समीनुल उलूम, कुमरौल में मदरसा अनवारूल उलूम, बहादुरपुर डलौर शोभन में मदरसा मोहम्मदिया हुसैनाबाद और मिल्की चक में मदरसा बनातुल फातिमा, धरनीपट्टी में मदरसा मदरसतुल बनात तसलिमिया और हरिचंदा में मदरसा बनात इस्लामिया, मनीगाछी के मरवा घाट में मदरसा फैजूल रसूल,हायाघाट चन्दन पट्टी में मदरसा इमामिया, बिलासपुर में मदरसा अब्दुर खनसिवां, बहेड़ी के जोरजा निमैठी में मदरसा बदरूल उलूम अब्बासिया शामिल है.

वेतन अनुदान को स्थगित करने के आदेश
अब प्रदेश के कई जनपद के जिला शिक्षा पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) और कोषागार पदाधिकारी को प्रतिवेदन भेज कर वेतानानुदान स्थगित किया जाता है. बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड नियमावली 2022 के नियम 12(2)में प्रावधान के अनुसार, आवश्यक कारवाई करने को कहा गया है. इस बाबत डीएम राजीव रौशन ने बताया कि विशेष निदेशक का एक पत्र संज्ञान मे आया है. जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक मे मदरसा बोर्ड को निर्देश दिया गया है.  दरभंगा जिले के कुल 32 संस्थान का उसमें जिक्र है. कारवाई विभाग की तरफ से मदरसा बोर्ड के निर्देश के आलोक में किया जा रहा है. जिला के लिये भी जो आदेश होगा उसका अनुपालन कराया जायेगा. अभी वेतन अनुदान और अन्य को स्थगित करने के आदेश दिये गये है. 

यह मदरसा कौन चलाता है?
इस बाबत स्थानीय भलनी निवासी मो. रजा ने बताया कि यहां के लोगों को तो पता ही नहीं है कि यह मदरसा कौन चलाता है. किन लोगों का इनमें नाम है. भलनी के इस मदरसा में कौन कमेटी है किन लोगों का नाम है. यह सिर्फ कागज पर ही चल रहा है. इसमें कौन शिक्षक है यह भी हम लोगों को पता नहीं है. पब्लिक को इससे कोई फायदा नहीं है. वहीं, मदरसा रहमानिया पूरा के शिक्षक इनको अख्तर ने बताया कि इसमें हम लोग कुल छह शिक्षक हैं. सैलरी की बात करें तो 1 लाख 70 हजार कुछ है जो हम लोगों को 6 शिक्षक में कुल मिलाकर मिलता है. इसमें 150 से 175 बच्चे हैं, जो अभी मदरसा के रद्द की बात आई है उसमें दरभंगा में 32 मदरसा और बिहार में कुल 50 मदरसा शामिल है. 

शिक्षक की परेशानी क्या है?
मदरसा के शिक्षक कमुद्दीन ने बताया कि सरकार ने 2459 मदरसा को 1987 में मंजूरी दिया. जिसमें 2010 में सरकार का एक नोटिफिकेशन आया था, जिसमें कहा गया था कि हम पेमेंट देंगे और सरकार नियोजित शिक्षक के पेमेंट के बराबर देंगे. 23 सितंबर 2013 में सरकार ने पेमेंट दिया. इसमें 2459 मदरसा में से 205 मदरसा को जो अब तक मिल रहा है. वो भुगतान नहीं अनुदान दे रहे हैं. उसके बाद जिले के डीओ अधिकारी ने विभिन्न मदरसा में जाकर जांच की और उसके बाद अभी तक अनुदान दे रहे हैं. इसी कड़ी में सीतामढ़ी के मदरसे का एक केस कोर्ट में आया और उसी में सारे को लपेटा गया और उसके बाद अब चिट्ठी आई है जिसमें वेतन को रोक दिया गया है. अब 50 मदरसे को रद्द करने की बात सामने आई है जो गलत है अगर कुछ कमी है तो उसे मौका दिया जाना चाहिए, जिससे उसे दुरुस्त किया जाए.