प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत बाजवा डेवलपर्स लिमिटेड, इसके प्रबंध निदेशक जरनैल सिंह बाजवा और उनके सहयोगियों के खिलाफ गुरुवार को मोहाली के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की. तलाशी के दौरान करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई. इसमें 42 लाख की नकदी, 4 लग्जरी वाहन, कई संपत्ति से जुड़े दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और आपत्तिजनक कागजात मिले हैं.

इसके अलावा, निदेशकों और उनके परिवार से जुड़े कई बैंक खातों को फ्रीज किया गया है जिनमें कथित रूप से अपराध से अर्जित धन जमा था.

ईडी की कार्रवाई उन एफआईआर के आधार पर की गई है, जो पंजाब पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की थीं.

शिकायतों के अनुसार, जरनैल सिंह बाजवा और उनके बेटे सुखदेव सिंह बाजवा ने सनी एन्क्लेव प्रोजेक्ट के तहत प्लॉट की बिक्री के नाम पर सैकड़ों लोगों को कथित तौर पर धोखा दिया. खरीदारों से पैसे लेने के बावजूद न तो उन्हें प्लॉट दिए गए और न ही पैसे लौटाए गए.

धोखाधड़ी से अर्जित धन का दुरुपयोग का आरोप

ईडी की जांच में सामने आया है कि खरीदारों से जुटाई गई राशि को जरनैल सिंह बाजवा ने अपने परिवार द्वारा संचालित अन्य कंपनियों में निवेश किया और इस धन का इस्तेमाल लग्जरी गाड़ियों की खरीद, असुरक्षित ऋण देने और प्रॉपर्टी निवेश में किया गया.

इससे पहले ईडी ने जरनैल सिंह बाजवा की कंपनी की चल संपत्तियों को प्रोविजनल रूप से अटैच किया था, जिसे बाद में PMLA की एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने पुष्टि दी थी. जरनैल सिंह को 29 अगस्त 2024 को मोहाली पुलिस ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार किया था.

ईडी के एक्शन से हड़कंप

ईडी ने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग, फंड डायवर्सन और लेयरिंग से संबंधित महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाए गए हैं. एजेंसी ने कहा कि बाजवा डेवलपर्स लिमिटेड के खिलाफ जांच अभी जारी है, और आने वाले दिनों में और भी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है.

ईडी या प्रवर्तन निदेशालय आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए बनाया गया है. यह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत काम करता है. ईडी ने वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों की भी जांच शुरू कर दी है जो आपराधिक श्रेणी में आते हैं। ईडी धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई करता है.