राजस्थान के कोटा में स्थित सेंट्रल जेल में बंद कैदियों को पढ़ाने के लिए प्रतिदिन तीन घंटे क्लास लगती है। जेल में बंद 36 कैदियों को पढ़ाने वाला शिक्षक भी कैदी है। जेल अधीक्षक परमजीत सिद्धू ने बताया कि निरक्षर कैदियों को पढ़ाने का जिम्मा लंबे समय से सजा काट रहे अच्छे आचरण वाले एक शिक्षित बंदी को दिया गया है। जेल में बंद विचाराधीन व सजायाफ्ता निरक्षर कैदियोंको हिंदी की वर्णमाला से लेकर साक्षर करने तक का बीड़ा जेल प्रशासन उठा रहा है। 

कुछ महीनों पहले तक निरक्षर कैदी साक्षर होने के बाद अब अपने नाम-पते लिखने लगे हैं।कुछ कैदी समाचार पत्र और पुस्तक भी पढ़ लेते हैं। कैदियों को पढ़ाने को लेकर प्रारंभ की गई कक्षा के बाद कैदियों की दिनचर्या और आचरण में भी काफी हद तक सुधार हो रहा है। जेल में प्रतिदिन तीन घंटे की क्लास लगती है। क्लास में चित्र सहित हिंदू की वर्णमाला,एबीसीडी के पोस्टर और गिनजी के बोर्ड लगे हुए हैं। 

कैदियों के हाथों में कापी नहीं बल्कि स्लेट और चाक होता है। जेल में बंद 18 कैदी तो थोड़ा बहुत कंप्यूटर भी चलाने लगे हैं। जेल अधीक्षक ने बताया कि कैदियों को साक्षर कर और यदि वे चाहें तो आगे भी पढ़ाकर उन्हे समाज की मुख्यधारा से जोडऩे को लेकर एक पहल की गई है। हम चाहते हैं कि सजा पूरी पर ये लोग जेल से बाहर निकल कर समाज की मुख्यधारा से जुड़े। कोटा जेल में कैदी फिनाइल,झाडू और दरी पट्टी बनाने का काम भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल 541 कैदी साक्षर हुए थे।