भोपाल ब्यूरो

भोपाल    मध्यप्रदेश में पहले भाजपा थी तब नगरीय निकायों के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होते थे और भाजपा हमेशा इनके पक्षधर रही है ,कमलनाथ सरकार आते ही कॉग्रेस ने इसे अप्रत्यक्ष कर दिया गया , पुनः शिवराज सरकार आयी पर प्रत्यक्ष प्रणाली कैबिनेट से तो पास तो हुई पर विधानसभा से पारित न हो सकी 6 माह बीत जाने के बाद वह स्वत: पूर्व की तरह मतलब अप्रत्यक्ष प्रणाली हो गयी (विधानसभा से पारित होना आवश्यक है)

अब जब माननीय सर्वोच्च  न्यायालय ने अंतरिम आदेश में लिखा कि जल्द से जल्द चुनाव कराये तब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री विष्णु दत्त शर्मा ने प्रत्यक्ष प्रणाली का समर्थन करते हुए चुनाव हो इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को बोला जैसे ही ये प्रत्यक्ष प्रणाली की बात सामने आई तो मध्यप्रदेश के भाजपा विधायकों में हड़कंप मच गया (क्योकि कुछ विधायक 5000 वोट के अंदर जीते है) और इसके बाद कुछ विधायक एक जुट हो गए प्रत्यक्ष प्रणाली का  विरोध करने cm हाउस तक गए , और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर दबाब बनाया और उस मे वह आ गए और उन्होंने सभी नगरीय निकायों (निगम, नगर पालिका, नगर परिषद) को अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय लिया , फिर बात आई संगठन के पास   तो प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा जी ने पुर जोर इसका विरोध किया कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और पार्षदो की खरीद फरोख्त होगी और जनता के बीच जो अध्यक्ष बनेगा वो विकास के कार्य नही कर पायेगा। परंतु शिवराज जी विधायको के दबाब में थे ,और अप्रत्यक्ष प्रणाली लागू करना चाह रहे थे इसी बीच मध्यप्रदेश में जितने निगम है वहाँ के बड़े नेता ने इसका पुरज़ोर विरोध संगठन के सामने किया उसका नतीजा यह हुआ कि निगम को प्रत्यक्ष ( सीधे जनता से चुनाव)और नगर पालिका ,नगर परिषद को अप्रत्यक्ष (पार्षदो से चुनाव)प्रणाली से हो इसका अध्यादेश तैयार कर राज्यपाल को भेजा,अध्यादेश राज्यपाल से स्वीकार किया और सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी करवा दिया।

विधायको को क्यो था खतरा

अगर मध्यप्रदेश में प्रत्यक्ष प्रणाली लागू हो जाती तो जहाँ जहाँ नगर पालिका है वहाँ से उस प्रणाली से जनता अध्यक्ष चुनती और अगर कोई अध्यक्ष 10 से 15 हज़ार वोटो से जीत जाता तो विधायक का टिकिट काटना स्वावभीक था और इसी में विधायक एक जुट हुए और शिवराज सिंग पर बनाने लगे और इसमें वह दबाब बनाने में कामयाब हुए।

कॉग्रेस क्यो है चुप

कांग्रेस हमेशा से ही अप्रत्यक्ष प्रणाली के पक्षधर रही है और कमलनाथ सरकार में इस प्रणाली को ही लागू किया गया था , इसलिए कॉग्रेस मजे ले रही है और तमाशा देख रही है ।

नगर पालिका ,परिषदों में क्यो नही हो रहा इसका विरोध

इसका मुख्य कारण है कि चुनाव लड़ने वाले अध्यक्ष की संख्या कम होती है और पार्षदो की संख्या ज्यादा और पार्षदो को अभी सामने लॉलीपॉप दिख रहा है यही मुख्य कारण है कि नीचे स्तर पर इसका विरोध नही हो रहा है।

भू माफिया और बाहुबली हुए सक्रिय

नगरपालिका व परिषद अप्रत्यक्ष प्रणाली लागू होते ही वहाँ के जो भू माफिया और बाहुबली सक्रिय हो गए है अपने अपने पार्षदो को लड़वाकर जितवा कर अपने अपने अध्यक्ष बनवाने की जुगाड़ में है ताकि वह अपने अनैतिक काम को जायज बना सके और अगले 5 साल मजे मार सके।

भाजपा को होगा नुकसान

अगर नगर पालिका और परिषदों में ख़रीद फरोख्त हुई और कांग्रेस की अध्यक्ष बने या भाजपा का अध्यक्ष बनता भी हैं तो वो पार्षदो के दबाब में काम नही कर पायेगा क्योकी वह पार्षदो से चुन के आया है । और अगर जनता के बीच विकास कार्य नही होगा तो इसका सीधा सीधा नुकसान 2023 विधानसभा और 2024 लोकसभा में भाजपा को उठाना पड़ सकता है ।इन्ही 5 वर्षो में यह दोनों महत्वपूर्ण चुनाव होने जा रहे है।