सीएम भगवंत मान ने लिवर इंस्टीट्यूट का किया लोकार्पण
चंडीगढ़।मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को पंजाब के पहले इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलियरी साइंसेस को मोहाली में लोगों को समर्पित कर दिया। पंजाब सरकार ने बजट सत्र- 2022 में इसे लेकर घोषणा की थी।मोहाली के फेज बी-1 में स्थापित यह संस्था हैपेटोलोजी के क्षेत्र में सुपर-स्पेशलिटी केयर, प्रशिक्षण और अनुसंधान संबंधी अति-आधुनिक बुनियादी ढांचे से लैस है। इस इंस्टीट्यूट की स्थापना 40 करोड़ रुपये से अधिक की लागत के साथ की गई है। इसमें 80 डॉक्टर, 150 स्टाफ नर्सें और 200 ग्रुप-डी कर्मचारियों समेत 450 के करीब स्टाफ होगा। हैपेटोलोजी पीजीआई चंडीगढ़ के पूर्व प्रोफेसर और प्रमुख प्रोफेसर वरिंदर सिंह को संस्था का डायरेक्टर नियुक्त किया गया है।
इस मौके पर स्थानीय विधायक कुलवंत सिंह समेत कई नेता एवं अधिकारी तथा वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद थे। इस मौके पर मान ने कहा कि वह लगभग 10 साल मोहाली में फेज 3बी1 रहे और मोहाली से उनका पुराना रिश्ता है। यहां उनके पड़ोसी ब्रिगेडियर भी हैं। प्रोटोकॉल के चलते अक्सर उन्हें लोगों से मिलने से रोक लिया जाता है। रस्सियां लगा दी जाती हैं। मान ने कहा कि उन्हें लोगों ने जिताया है फिर भी उन्हें लोगों के नजदीक नहीं जाने देते।उन्होंने कहा कि पहले मुख्यमंत्री का हौव्वा बनाया हुआ होता था। पहले मंत्री पांच साल घरों में कुंडी लगा अंदर बैठे रहे। बाद में लोगों ने बाहर से कुंडा लगा दिया और 20-25 सालों के लिए ताले लगा दिए। मान ने कहा कि उन्हें लोगों ने प्यार दिया है। उसी से वह मुख्यमंत्री बने हैं। लोग जब चाहें तब बंदा अर्श और जब चाहें बंदा फर्श पर होता है।
मान ने पुरानी सरकारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि किसी साजिश के तहत सभी सरकारी इकाईयां खत्म कर दी गई थी। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती थी। प्राइवेट स्कूलों को कहा जाता था कि वह उन्हें कस्टमर देंगे। आम परिवार का बच्चा इतनी महंगी शिक्षा नहीं ले पाता था। वहीं सरकारी अस्पताल खत्म कर दिए। ऐसे में या तो आदमी को बीमारी से मर जाना पड़ता था या भारी रकम खर्च इलाज करवाना पड़ता था। मान ने कहा कि उन्हें पता है, उनके सामने एक कैंसर का मरीज खुद परिवार से कह रहा था कि मुझे मरने दो मगर एक-दो किले जो जमीन है वह न बेचना। मान ने कहा कि उनकी सरकार ने अस्पताल, स्कूल बनवाए और स्टाफ भर्ती किया। पिछली सरकारों के दौरान धरने देते कई उम्मीदवार ओवरएज हो गए थे। ऐसे में नौकरी के लिए आयु 37 से बढ़ा कर 45 साल की गई।