चंडीगढ़। साल 2019 में प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा के सामने इस बार पिछली जीत दोहराने की चुनौती है और मत प्रतिशत बढ़ाने का भी दबाव है। पिछले चुनाव में भाजपा ने 58.2 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जो 1977 के बाद अब तक के चुनावी इतिहास के सबसे अधिक मत हैं।

कांग्रेस को 28.5 प्रतिशत मतों में संतोष करना पड़ा था। इस बार भाजपा सात सीटों पर जीत की हैट-ट्रिक लगाने की रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस लोकसभा चुनाव में सीटों के सूखे को खत्म करने की जिद्दोजहद में है। आठ सीटों पर कांटे की टक्कर है। कुरुक्षेत्र एकमात्र सीट है, जहां भाजपा के नवीन जिंदल, आइएनडीआइए के उम्मीदवार डॉ. सुशील गुप्ता और इनेलो प्रत्याशी अभय चौटाला के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा।

बंतो कटारिया का इन प्रत्याशियों से मुकाबला

अंबाला में भाजपा की बंतो कटारिया और कांग्रेस के वरुण मुलाना, गुरुग्राम में भाजपा के राव इंद्रजीत तथा कांग्रेस के राज बब्बर के बीच कांटे की टक्कर होगी। फरीदाबाद में भाजपा के कृष्णपाल गुर्जर और कांग्रेस के महेंद्र प्रताप सिंह में रोचक मुकाबला होने वाला है।

करनाल में भाजपा प्रत्याशी पूर्व सीएम मनोहर लाल के सामने कांग्रेस ने दिव्यांशु बुद्धिराजा को चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले में खड़े रहने की कोशिश की है। रोहतक में कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा और भाजपा के अरविंद शर्मा के बीच भिड़ंत है, सिरसा में कांग्रेस की कुमारी सैलजा और भाजपा के अशोक तंवर के बीच रोचक मुकाबला होना तय है।

भिवानी-महेंद्रगढ़ में कांग्रेस के राव दान सिंह और भाजपा के चौधरी धर्मबीर सिंह के बीच चुनावी रण होगा। हिसार में कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी और भाजपा के रणजीत चौटाला में टक्कर तय है, हालांकि यहां जेजेपी की नैना चौटाला और इनेलो की सुनैना चौटाला भी स्वयं को मुकाबले में मानकर ताल ठोंक रही हैं। सोनीपत में कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी और भाजपा के मोहन लाल बडौली में मुकाबला होने वाला है।

भाजपा ने राजनीतिक ताकत बढ़ाई

पिछले दो चुनाव नतीजों पर नजर दौड़ाई जाए तो भाजपा ने अपनी राजनीतिक ताकत काफी हद तक बढ़ाई है। 2014 में भाजपा ने सात, कांग्रेस ने एक और इनेलो ने दो सीटें हासिल की थी। भाजपा का मत प्रतिशत 34.8% था। कांग्रेस को 23 प्रतिशत वोट मिले थे।

साल 2019 में भाजपा सभी 10 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और 58.2 प्रतिशत मत हासिल कर समस्त पिछले रिकार्ड तोड़ दिए थे। भाजपा ने कांग्रेस के 35 साल पुराने रिकॉर्ड को भी तोड़ने का काम किया था। कांग्रेस ने 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति का लाभ उठाते हुए 54.9 प्रतिशत मत हासिल किए थे। तब भाजपा को 7.5 प्रतिशत मतों के साथ चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा था।

इन सात सीटों पर जीत की हैट-ट्रिक की रणनीति बना रही भाजपा

भाजपा सात सीटों पर जीत की हैट-ट्रिक लगाने की कोशिश में है, जबकि कांग्रेस उसे रोकने के साथ स्वयं जीत हासिल करने के प्रयास में जुटी है। साल 2014 और 2019 में भाजपा ने गुरुग्राम, फरीदाबाद, अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, भिवानी-महेंद्रगढ़ और सोनीपत लोकसभा सीटों पर लगातार दो बार जीत हासिल की थी। भाजपा इस बार फिर इन सातों सीटों पर जीत की हैट-ट्रिक के लिए काम कर रही है। इन सात सीटों में भाजपा ने कुछ उम्मीदवार बदले हैं तो अधिकतर पुराने हैं।

1977 में भारतीय लोकदल के 70.3%मतों का रिकार्ड नहीं टूटा

भाजपा और कांग्रेस के मतों को लेकर 1977 का चुनाव अपवाद के रूप में सबके सामने है। उस समय भारतीय लोकदल पार्टी ने प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करते हुए 70.3 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे। जनता पार्टी और लोकदल ने मिलकर चुनाव लड़ा था।

इस चुनाव के बाद भाजपा ने लगातार राजनीतिक तरक्की करते हुए कांग्रेस के मत प्रतिशतता की अधिकता के रिकॉर्ड को भी तोड़ने में जबरदस्त सफलता हासिल की है। ऐसे में भाजपा पर एक बार फिर सभी सीटों पर जीत हासिल करने के साथ ही मत प्रतिशत में बढ़ोतरी का भारी दबाव रहने वाला है।