चंडीगढ़। मुख्यमंत्री भगवंत मान और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की साख एक बार फिर दांव पर है। वर्ष 2022 में भी ऐसा ही दिलचस्प माहौल देखा जा चुका है, जब विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री चन्नी और भावी मुख्यमंत्री मान दोनों पर अपनी-अपनी पार्टियों का पूरा दारोमदार था। लोकसभा चुनाव-2024 में एक बार फिर दोनों पर वैसी ही जिम्मेदारी आ गई है। हालांकि, भगवंत मान स्वयं चुनाव नहीं लड़ रहे, लेकिन पूरे प्रदेश में पार्टी का दारोमदार उन्हीं पर है। वहीं, चन्नी जालंधर से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। संगरूर सीट पर जीतना आप के लिए जरूरी है।

संगरूर से गुरमीत सिंह मीत हेयर पर बड़ा दांव

साल 2022 के विधानसभा चुनाव के समय भगवंत मान (Bhagwant Mann) संगरूर सीट पर सांसद थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और सरकार बनने के तीन महीने बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में आप उम्मीदवार हार गया था। शिअद (अ) के सिमरनजीत सिंह मान (Simranjit Singh Mann) ने जीत प्राप्त की थी। पार्टी वर्ष 2022 के मार्च में 117 विधानसभा में से 92 सीटों पर जीत करके यह मानकर चल रही थी कि लोग अभी भी उसके साथ हैं, लेकिन संसदीय सीट पर उपचुनाव में हार ने पार्टी की फजीहत करवा दी थी। अब संगरूर से ही पार्टी ने गुरमीत सिंह मीत हेयर जैसे सशक्त मंत्री को खड़ा करके बड़ा दांव खेला है।

दांव पर चन्नी की साख

मीत हेयर के अलावा इस लोकसभा सीट की विधानसभा सीटों पर अमन अरोड़ा और वित्त मंत्री हरपाल चीमा (Harpal Cheema) जैसे दिग्गज नेताओं की विधानसभा सीटें हैं । खुद मुख्यमंत्री भी इसी संसदीय सीट की धूरी सीट से विधायक हैं। ऐसे में अगर दूसरी बार पार्टी को हर का सामना करना पड़ता है तो यह दिक्कत वाली बात होगी और पूरे प्रदेश पर ही इसका असर पड़ सकता है। जालंधर सीट से प्रत्याशी घोषित होने के बाद चन्नी की साख भी दांव पर है।

दोआबा में 23 विधानसभा सीटे

सितंबर, 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) जैसे दिग्गज नेता को मुख्यमंत्री पद से हटाकर कांग्रेस ने पहली बार अनुसूचित जाति के व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया था। राज्य के दलित बाहुल दोआबा इलाके में पार्टी को इसकी सफलता भी मिली। दोआबा क्षेत्र में 23 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से आप ने दस और कांग्रेस ने नौ सीटें जीती थीं। इस जीत का श्रेय चन्नी को दिया गया। अब उसी को कैश करने के लिए चन्नी मैदान में हैं, लेकिन जिन लोगों का उन्हें साथ मिलना था, वे पार्टी छोड़ गए।

इनमें पार्टी के पूर्व प्रधान मोहिंदर सिंह केपी, जो चन्नी के रिश्तेदार भी हैं, कांग्रेस को छोड़कर शिअद में शामिल हो गए और अब उसके प्रत्याशी हैं। पूर्व सांसद संतोख चौधरी की पत्नी करमजीत कौर (Karamjeet Kaur) भाजपा में शामिल हो गई हैं। कांग्रेस ने उनके विधायक बेटे को पार्टी से निलंबित कर दिया है। कांग्रेस के ही पूर्व विधायक सुशील रिंकू भी पिछले वर्ष ही कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हो गए थे। वे उपचुनाव लड़कर सांसद बन गए, लेकिन एक वर्ष बाद ही वह भाजपा में चले गए हैं। अब विस चुनाव जैसे प्रदर्शन का चन्नी पर दबाव है।