केंद्र सरकार ने खेती के विकास के लिए आम बजट में कृषि कोष का गठन करने की घोषणा की है। युवाओं को ध्यान में रखते हुए कृषि स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए यह कृषि कोष स्थापित किया जाएगा। नई तकनीकों का प्रयोग कर आधुनिक कृषि में देश को राह दिखा रहे हरियाणा का केंद्रीय पूल में खाद्यान्न मामले में 15 प्रतिशत से अधिक का योगदान है। विशेषज्ञों का मानना है कि अलग से कोष का गठन करने से हरियाणा की कृषि की हालत सुधरेगी और प्रदेश को इसका लाभ मिलेगा। स्टार्टअप में किसान अपने उत्पाद खुद बेचेंगे तो न केवल उन्हें बल्कि उपभोक्ताओं को भी लाभ होगा।

बजट की अगली महत्वपूर्ण घोषणा है कि अगले तीन साल तक एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती में मदद दी जाएगी। साथ ही दस हजार बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर बनाने की भी घोषणा की गई है। माना जा रहा है कि इन घोषणाओं से हरियाणा के किसानों की दशा बेहतर होगी।

कृषि उपनिदेशक डा. कर्मचंद ने बताया कि गेहूं और चावल की पैदावार में हरियाणा अग्रणी है। वहीं बासमती चावल निर्यात में राज्य देश में नंबर वन है। हरियाणा ने पिछले साल 44 लाख 40 हजार टन चावल की पैदावार की थी। इसी प्रकार 11 लाख 23 हजार टन बाजरे, एक करोड़ 17 लाख 80 हजार टन गेहूं, 84 लाख 50 हजार टन गन्ने का व 26 लाख 20 हजार कपास की गांठों उत्पादन किया है।

स्टार्टअप से मिलेगा बाजार और किसान-उपभोक्ता को लाभ

कृषि विज्ञानी डॉ. रमेश वर्मा ने कहा कि कृषि में मुख्य समस्या मार्केटिंग की है। स्टार्टअप में यदि किसानों को बाजार का रास्ता मिल जाएगा तो किसानों का लाभ कई गुना बढ़ा जाएगा। इसके अलावा उपभोक्ताओं को कम कीमत पर कृषि उत्पाद मिलेगा। यदि किसान स्टार्टअप बनाकर अपने उत्पाद को खुद बेचेगा तो उसे ज्यादा लाभ मिलेगा। एफपीओ इसी योजना का उदाहरण है। इस योजना से हरियाणा को मुख्य रूप से लाभ मिलेगा।

हरियाणा में ही सबसे अधिक आधुनिक खेती अपनाने वाले किसान हैं। यह प्रदेश केंद्रीय राजधानी के निकट है। इतना ही नहीं सबसे अधिक प्रगतिशील किसान पुरस्कार इसी प्रदेश ने जीते हैं। ऐसे में कृषि में स्टार्टअप के लिए अलग से फंड स्थापित होने से किसानों को ही नहीं प्रदेश के युवाओं को भी लाभ मिलेगा। ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने का काम कर रहे सुरेंद्र ढुल ने कहा कि सरकार की घोषणा से खेती के परंपरागत तरीके बदलेंगे और प्रदेश में नई तकनीक विकसित होंगी।

हरियाणा के चार लाख लोग आयकर के दायरे से होंगे बाहर, छूट सीमा सात लाख से मिला लाभ

केंद्रीय बजट में आयकर छूट सीमा सात लाख करने से हरियाणा के मध्यमवर्गीय करदाताओं को बड़ी राहत मिली है। एक अनुमान के मुताबिक इस घोषणा से हरियाणा में करीब चार लाख लोग टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे। आयकर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश में इस समय 10 लाख से अधिक लोग इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं। नई स्लैब लागू होने से प्रदेश में आयकर देने वालों की संख्या घटेगी और करीब चार लाख लोगों को टैक्स नहीं भरना पड़ेगा। आयकर मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय मदान ने कहा कि इस फैसले का प्रदेश के मध्यवर्गीय लोगों को लाभ मिलेगा।