कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के करीब दो महीने बीत जाने के बावजूद भाजपा राज्य में नया अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है। दरअसल इन दोनों पदों के लिए पार्टी पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के पुत्रमोह के साथ लिंगायत और वोक्कालिगा के बीच संतुलन बनाने का रास्ता नहीं निकाल पा रही।

चूंकि चंद महीने बाद लोकसभा चुनाव है, ऐसे में पार्टी इन दोनों पदों पर नाम तय करने के मामले में फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है।

गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव के नतीजे ने भाजपा को उलझा दिया है। चुनाव में पार्टी के परंपरागत मतदाता रहे लिंगायत बिरादरी का झुकाव कांग्रेस की ओर हुआ। वोक्कालिगा बिरादरी का इस बार जदएस की जगह कांग्रेस के प्रति ज्यादा झुकाव नजर आया। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का पद के मामले में दोनों बिरादरी के बीच संतुलन साधना चाहती है।

पुत्र के लिए अड़े येदियुरप्पा
राजनीति से संन्यास की घोषणा करने के बाद येदियुरप्पा चाहते हैं कि हर हाल में उनके विधायक पुत्र बीवाई विजेंद्र को दोनों में से एक पद दिया जाए। लोकसभा चुनाव सिर पर होने के कारण पार्टी नेतृत्व येदियुरप्पा को नाराज करने की स्थिति में नहीं है। बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी को अपने सहयोगी सहित राज्य की 28 में से 26 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। पार्टी आगामी चुनाव में यही स्थिति बरकरार रखना चाहती है। इसके लिए उसके सामने विभिन्न जातियों के बीच चौतरफा संतुलन बैठाने की चुनौती है।

इन नामों पर अब तक हुआ विचार
अध्यक्ष पद के लिए वोक्कालिगा बिरादरी से केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे, सीटी रवि और सीएन अश्वथ नारायण के नाम पर चर्चा हुई। वहीं, नेता प्रतिपक्ष के लिए लिंगायत समुदाय से पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई, बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और वोक्कालिगा समुदाय से आर अशोक और सीएन अश्वथ नारायण के नाम पर चर्चा हुई है। पार्टी इनमें से एक पद ओबीसी या एससी को देने पर भी मंथन कर रही है। इस क्रम में सुनील कुमार और अरबिंद लिंबावली के नाम पर भी विचार हुआ है।