जयपुर । राजस्थान विधानसभा के चुनाव नवंबर दिसंबर में प्रस्तावित है भाजपा ने चुनावी रणनीति के तहत सभी 200 विधानसभा सीटों पर पिछले तीन 2008, 2013, 2018 के चुनाव में हारी सीटों और उम्मीदवारोंं पर मंथन शुरू कर दिया है विशेष फोकस 2018 में बहुत कम सीटों से और बड़े मार्जन से हारी सीटों पर है इन सीटों पर अलग से रणनीति बनाई जा रही है रणनीति के तहत क्षेत्रीय समस्या और जातीय आधार पर वोटों पर भी फोकस होगा जो सीटें कम मार्जन से हारी उसके पिछले उम्मीदवार को टिकट तभी मिलेगा जब वह 2023 में जीत का 100 प्रतिशत आश्वासन देगा यह भी शर्त है कि 70 साल से कम उम्र का अमुख उम्मीदवार होना चाहिए इसके साथ 2018 में जीते भाजपा विधायकों की टिकट काटेगी जिनका उनके क्षेत्र में वोटरों, विभिनन समाजों पर पकड़ ढीली हो रही है और ओल्ड हो चले है इसके अलावा उन विधायकों को भी टिकट से हाथ धोना पड सकता है जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह जेपी नड्डा की बनाई रणनीति से इतर चल रहे है।
 ज्ञात रहे कि पिछले चार सालों से राज्य भाजपा में राजे, पूनियां, गजेन्द्र सिंह गुट जैसी खबरों ने मौके बेमौके पर केन्द्रीय भाजपा आलाकमान को असहज महसूस किया है और तथाकथित इन तीनों नेताओं के प्रशंसक अलग अलग हो गए है जिसमें अहम किरदार में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने तो देवदर्शन यात्रा निकाली और उनके समर्थकों ने भाजपा आलाकमान को 2023 के चुनाव लडने से पहले मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाने का ढोल भी पीटा। कुल मिलाकर भाजपा आलाकमान झगड़े को शांत करने के लिए वर्तमान में जीते 73 विधायकों में दो तिहाई विधायकों को बेटिकट करने वाली है इसके मंथन में भाजपा संघ पृष्ठ भूमि से आने वाले अजमेर विधायक वासुेदव देवनानी, रानीवाड़ा विधायक रानी सिंह देवल को लगाया है भाजपा आलाकमान 2018 में हारे और 2023 में मुख्यमंत्री के दावेदार नामों के बीच चल रही कुर्सी की लडाई को एकाग्रता से देख रहा है और समझ रहा है उक्त झगडे को प्राथमिकता से समझते हुए शायद गुलाबचंद कटारिया को पहले ही सम्मानजनक राज्य की राजनीति से दूर असम राज्य का राज्यपाल बनाकर भेज दिया गया है इसी शुरूआत में दो तिहाई टिकट कटेगे और जिन सीटों पर तीन बार चुनाव हार चुकी भाजपा उन सीटों पर आरएसएस को जिम्मेदारी संभलाई जायेगी और केन्द्रीय मंत्रियों के एक के बाद एक मंत्री और क्षेत्रीय सांसदों के दौरो का रूट चार्ट तैयार किया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जेपी नड्डा का मूलमंतव्य यही है कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार पुन: रिपीट होगी के दावे को खारिज करना है।