भोपाल । मध्यप्रदेश में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने है, चुनाव के चलते मध्य प्रदेश के पूर्वी इलाका विंध्य की चर्चा राजनीति के गलियारों में तेज होने लगी है। रीवा संभाग में रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली जिले आते है। हर पार्टी यहां जाति का खेल खेलती हुई नजर आ जाती है। विंध्य अंचल में 24 सीटें आती है। रीवा जिले में आठ सीटें आती है। आज हम रीवा जिले की सभी सीटों के सियासी इतिहास के बारे में जानकारी देंगे। रीवा जिले में आठ विधानसभा सीटे है, सीटों में सिरमौर, सेमरिया, त्योंथर, मऊगंज, देवतालाब, मनगवां, रीवा, गुढ़ शामिल है।
पठारी क्षेत्र में आने वाले रीवा जिले में कई जलप्रपात है, अपने जलप्रपात और सफेद बाघों के कारण रीवा हमेशा चर्चा में रहता है। रीवा जिला को सफेद बाघों की भूमि कहा जाता है। रीवा के राजनीतिक समीकरण पर गौर करें तो 2003 से पहले रीवा को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था, लेकिन 2003 के बाद से यहां कांग्रेस का क्लीन स्वीप हुआ है। 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में भाजपा को बहुत बड़ी जीत मिली, भाजपा रीवा की सभी आठ सीटों पर जीतने में कामयाब हुई थी, लेकिन सत्ता में उसे जगह नहीं मिली। शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने से वहां के भाजपा कार्यकर्ता पार्टी से नाराज नजर आ रहे है।
कभी कांग्रेस का किला रहा मध्य प्रदेश का पूर्वी इलाका विंध्य अब भाजपा की पॉवर पॉलिटिक्स का सेंटर बन गया है। समय के साथ साथ मध्य प्रदेश के राजनीतिक नक्शे में विंध्य में भाजपा का वर्चस्व बढ़ता गया और कांग्रेस का घटता गया । यहां बीएसपी का वोट बैंक भी चुनाव दर चुनाव बढ़ता गया। यहां भाजपा के विजय रथ की रफ्तार तेजी से बढ़ी। मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम भी रीवा से आते है। पिछली जीत से उत्साहित भाजपा को मात देने के लिए विपक्षी पार्टियों कांग्रेस, बीएसपी , आप ने रीवा में पैर पसारना शुरू कर दिया है।
बीएसपी प्रदेशाध्यक्ष इंजी रमाकांत पिप्पल ने रीवा में डेरा डाल रखा है, जिससे बीएसपी की लगभग सभी सीटों पर सक्रियता बढ़ी है। बीएसपी की ओर से रीवा जिले की हर सीट पर सम्मेलन आयोजित किए जा रहे है। आप की भी इलाके में सक्रियता बढ़ रही है, 2023 में आप पार्टी भले ही चुनाव न जीते लेकिन उसने अन्य दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, छोटे दल भाजपा और कांग्रेस का चुनावी गणित बिगाड़ रहे है। बीएसपी और आप की रीवा में बढ़ती सक्रियता भाजपा और कांग्रेस की जीत की राह में बाधा बन सकती है। कांग्रेस ने विंध्य में 2008 में दो, 2003 में चार और 2013 में 12 सीटें जीती थी। रीवा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के भीतर गुटबाजी की खबरें खूब देखने को मिल रही है, यहां बसपा और आप की मजबूती और बढ़ती सक्रियता से कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है। आपको बता दें देश में बीएसपी का पहला सांसद रीवा लोकसभा क्षेत्र से मिला था। लेकिन पिछले चुनाव में बीएसपी को रीवा में एक भी सीट नहीं मिली थी। 8 विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। हालांकि बीएसपी का वोट परसेंट यहां कम नहीं हुआ और चुनावी मौसम में बीएसपी की बढ़ती सक्रियता से यहां उसका जनाधार बढ़ा है।