जयपुर । राजस्थान के अलवर में इस बार विधानसभा चुनाव के सियासी समीकरण बदले हुए है। कांग्रेस को इस बार कड़ी टक्कर मिल रही है। गहलोत को दो मंत्रियों टीकाराम जूली और शकुंतला रावत को टिकट मिलने के आसार है। लेकिन उनकी राह आसान नहीं है। इस तरह तिजारा से सांसद बालकनाथ भी फंस गए है। बीजेपी सांसद को तिजारा से उम्मीदवार बनाया है। बालकनाथ को मामन यादव से चुनौती मिल रही है। मामन खुद बीजेपी का टिकट मांग रहे थे। पूर्वी राजस्थान में अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली आदि जिले शामिल हैं। पूर्वी राजस्थान में भी अलवर जिला राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, यहां 11 विधानसभा सीटें हैं। अलवर जिले के राजनीतिक समीकरण किसी भी दल के लिए प्रदेश की सत्ता तक पहुंचने में अहम होते हैं। भाजपा, कांग्रेस व तीसरे मोर्चे के नेताओं की नजर भी अलवर की राजनीति पर टिकी रहती है। 
बात दें कि विधानसभा चुनाव 2018 के चुनाव में अलवर जिले में भाजपा को मात्र दो ही सीटें मिली थी। कांग्रेस का यहां दबदबा रहा। कांग्रेस को इस चुनाव में यहां 5 सीटें मिली, बाद में दो बसपा से जीते विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए तथा दो निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस का साथ दिया। यानी अलवर जिले से कांग्रेस को 9 विधायकों का सहयोग मिला। इसी प्रकार 2013 के विधानसभा चुनाव में अलवर जिले में कांग्रेस को मात्र एक सीट पर संतोष करना पड़ा, वहीं भाजपा के खाते में 9 सीटें गई। वहीं एक सीट राजपा ने जीती। यानी भाजपा के सरकार बनाने में अलवर से 9 विधायकों का योगदान रहा। यही कारण है कि वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भी प्रमुख दलों की नजर अलवर के चुनाव नतीजों पर लगी है।