President Murmu In Rajasthan: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) एक दिवसीय दौरे पर राजस्थान आईं. यहां बीकानेर (Bikaner) के डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में आयोजित 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (Rashtriya Sanskriti Mahotsav) के उद्घाटन समारोह में शिरकत की. राष्ट्रपति ने नगाड़ा बजाकर महोत्सव को आनंदमय बनाया. लोक कलाकारों की कला को सराहा. सांस्कृतिक केंद्रों के आंगन का अवलोकन किया. सांस्कृतिक मंच से प्रकृति प्रेम का संदेश दिया. राज्यपाल कलराज मिश्र, केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला भी साथ रहे.

'चारों ओर फैली है कला की सुगंध'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत की कला शैली प्राचीन काल से ही उच्च स्तरीय रही है. सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही नृत्य, संगीत, चित्रकारी, वास्तुकला जैसी अनेक कलाएं भारत में विकसित थी. भारतीय संस्कृति में अध्यात्म की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. संस्कृति की अद्भुत रचना कला का महत्वपूर्ण उदाहरण है. नदी का मधुर संगीत हो या मयूर का मनमोहक नृत्य, कोयल का गीत हो, मां की लोरी या नन्हे से बच्चे की बाल लीला हो, हमारे चारों ओर कला की सुगंध फैली हुई है. हम सब को भारत की संपन्न और समृद्ध संस्कृति पर गर्व होना चाहिए. साथ ही, हमें अपनी परंपराओं में, नए विचारों और नई सोच को स्थान देना चाहिए, जिससे हम अपने युवाओं और आने वाली पीढ़ी को भी इन परंपराओं से जोड़ सकते हैं.

'समृद्ध और संपन्न संस्कृति पर करें गर्व'

राष्ट्रपति ने मुर्मू ने आगे कहा कि सभी को मिलकर ऐसे उपाय और तकनीक निकालनी होगी जिससे आज के लोग, खासकर युवा और बच्चे, अपने समय का सदुपयोग करें और कला-संस्कृति को समझने और सीखने के लिए प्रयास करें तथा निपुणता के लिए अभ्यास करते रहें. कला शैली, रहन-सहन का ढंग, वेशभूषा, खान-पान सब में समय के साथ बदलाव आना स्वाभाविक है लेकिन कुछ बुनियादी मूल्य और सिद्धांत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलते रहने चाहिए, तभी भारतीयता को हम जीवित रख सकते हैं. 

'मन में नई ऊर्जा का संचार'

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे कार्यक्रम देश की कला और संस्कृति को तो बढ़ावा देते ही हैं, साथ ही साथ राष्ट्रीय एकता की भावना को भी और मजबूत बनाते हैं. इस तरह के सांस्कृतिक आयोजन से हमारे देशवासियों को देश की संपन्न संस्कृति और विशिष्टताओं को जानने और समझने का अवसर भी मिलता है. खुशी है कि राजस्थान में पहली बार राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन हो रहा है. यहां देशभर से पहुंचे एक हजार से अधिक कलाकार महोत्सव में शिरकत कर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कला क्षेत्र के प्रतिभावान और महान विभूतियों को देखकर मन में नई ऊर्जा का संचार होता है. कलाकारों का जीवन तपस्या का उदाहरण होता है. इससे युवाओं को प्रेरणा मिलती है, सीखने को मिलता है.