राजस्थान के जयपुर स्थित झालाना और आमागढ़ के साथ ही नाहरगढ़ में भी लेपर्ड सफारी की शुरूआत की जाएगी। वन विभाग ने नाहरगढ़ के जंगलों में लेपर्ड सफारी का काम शुरू कर दिया है। इसी साल के अंत तक लेपर्ड सफारी के लिए जरूरी वर्क पूरा कर लिया जाएगा। ऐसा होने पर जयपुर दुनिया में तीन लेपर्ड सफारी वाला पहला शहर बन जाएगा। वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने ट्वीट कर इस जानकारी को शेयर किया है। उन्होंने बताया कि नाहरगढ़ लेपर्ड सफारी के लिए अलग-अलग ट्रैक तैयार किए जा रहे हैं। वन्य जीवों के लिए ग्रास लैंड भी बनाई जा रही है। जयपुर में यह तीसरी लेपर्ड सफारी पार्क होगा। शिखर अग्रवाल ने बताया कि मायला बाग बीड पीपाड़ एरिया में इसका बहुत इंतजार हो रहा है।

नाहरगढ़ जंगलों में 15 से 20 लेपर्ड का मूवमेंट

जयपुर के नाहरगढ़ स्थित पहाड़ियों के जंगलों में 15 से 20 लेपर्ड की आवाजाही रहती है। वन विभाग ने झालाना और आमागढ़ के साथ ही अब नाहरगढ़ को तीसरे लेपर्ड सफारी के रूप में डवलप करने का काम तेजी से शुरू कर दिया है। यहां 16 किलोमीटर एरिया में लेपर्ड सफारी डवलप की जा रही है। इमें लेपर्ड के नहाने, पानी पीने और अठखेलियां करने के लिए वाटर पॉइंट पॉन्ड, पर्यकों के लिए दो सफारी ट्रैक तैयार करवाए जाएंगे। ताकि टूरिस्ट नजदीक से लेपर्ड को निहार सकें।
 
जयपुर में लगातार बढ़ रहे लेपर्ड, 70 के करीब लेपर्ड मौजूद

जयपुर के जंगलों में 70 के करीब लेपर्ड बताए जा रहे हैं। लेपर्ड की संख्या में पिछले कुछ सालों में तेजी से इजाफा हुआ है। झालाना, आमागढ़ और नाहरगढ़ जंगल एरिया में लेपर्ड ने टेरेटरी बनाई हुई है। झालाना लेपर्ड सफारी पार्क में 40 से ज्यादा लेपर्ड हैं। आमागढ़ में करीब 17 और नाहरगढ़ जंगल में भी 15 से 20 लेपर्ड का मूवमेंट रहता है।

तीन वाल्डलाइफ लेपर्ड सफारी दुनिया का इकलौता शहर 

जयपुर दुनिया का इकलौता शहर होगा, जहां तीन वाल्डलाइफ लेपर सफारी का लुत्फ पर्यटक और वन्यजीव प्रेमी उठा सकेंगे। इससे जयपुर के टूरिज्म को बड़ा बूम मिलेगा। देशी के साथ ही विदेशी सैलानियों का फुटफॉल यहां और बढ़ जाएगा। जयपुर को वर्ल्ड लेपर्ट कैपिटल का दर्जा देने की मांग भी लम्बे समय से उठाई जा रही है। यहां लेपर्ड को प्राकृतिक रूप से जंगल में विचरण और शिकार करते हुए देखा जा सकता है। लेपर्ड जंगली सुअर, हिरण, नीलगाय, खरगोश, लोमड़ी, बंदर जैसे जानवरों का शिकार करते हैं। तीतर-बटेर और मोर जैसे पक्षियों को भी शिकार बनाकर खा जाते हैं। ये टाइगर की तुलना में काफी ज्यादा स्किल्ड और फुर्तीले होते हैं। वजन में हल्के होने के कारण आसानी से पेड़ों पर चढ़कर बंदरों को भी शिकार बना लेते हैं। इनकी सरवाइवल रेट अन्य जंगली बिल्लियों की जुलना में काफी ज्यादा है। हालांकि लेपर्ड भी वन्यजीव सुरक्षा कानून 1973 के तहत पहली लिस्ट में सुरक्षित जीव है। देशभर में लेपर्ड के शिकार पर प्रतिबंध है। टाइगर या शेर के बराबर ही 10 साल की सजा इसके शिकार पर है।