पटना । जनता दल (यू) के संसदीय बोर्ड के पूर्व प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ‎मिलने के बाद कहा कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कोई चुनौती नहीं देख रहे हैं। दिल्ली से लौटने के बाद यहां हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कुशवाहा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्षी एकता को लेकर किए जा रहे प्रयासों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जद(यू) के साथ मात्र वही दल हैं जिनके साथ राज्य में उनका गठबंधन है। यह पूछे जाने पर कि शाह के साथ हुई उनकी बैठक में क्या चर्चा हुई, कुशवाहा ने कहा ‎कि आप लोग अटकलें लगाने को स्वतंत्र हैं। मैं जितना उचित समझूंगा उतना ही खुलासा करूंगा। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में उनके शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कुशवाहा ने कहा ‎कि मैं अभी इस स्थिति में नहीं हूं कि कई ब्यौरों का खुलासा कर सकूं। जब समय आयेगा मैं अधिक बोलूंगा। कुछ माह पहले जद(यू) से नाता तोड़ने के बाद कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक जनता दल की स्थापना की थी। गौरतलब है कि कुशवाहा पहले राजग के सहयोगी थे और उस समय वह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की अगुवाई कर रहे थे और उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री पद मिला हुआ था।
उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत गठबंधन से अलग होते हुए महागठबंधन से नाता जोड़ लिया था। उस समय महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और कुछ अन्य छोटे दल शामिल थे। यद्यपि एक वर्ष बाद हुए बिहार विधानसभा चुनाव तक कुशवाहा का महागठबंधन से मोहभंग हो गया। उन्होंने मायावती की बहुजन समाजपार्टी एवं असदुदीन औवेसी की एआईएमआईएम के साथ गठजोड़ कर विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में कुशवाहा की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पायी थी। इसके कुछ ही माह बाद कुशवाहा की जद(यू) में वापसी हुई और उन्होंने अपनी आरएलएसपी का नीतीश की पार्टी में विलय कर दिया। कुशवाहा को यद्यपि पार्टी में एक बड़ा पद और विधान परिषद की सदस्यता दी गयी किंतु उनका मोहभंग उस समय हो गया जब नीतीश कुमार नेराजद के तेजस्वी यादव के साथ उन्हें उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया। भाजपा की उम्मीदें कट्टर हिंदुत्व के साथ साथ गैर यादव ओबीसीएवं दलित वोट के हिस्से पर टिकी हुई हैं। राजग ने 2019 में बिहार की 40 में से 39 लोकसभा सीटें जीती थीं। इनमें से 22 जद (यू) के खाते में गयी थीं। लोकजन शक्ति पार्टी ने छह सीटें जीती थीं। लोजपा अब दो खेमों में बंट गई है जिनका नेतृत्व क्रमश: दिवंगत नेता रामविलास पासवान के भाई एवं केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस एवं पुत्र चिराग पासवान कर रहे हैं।