देवघर। Trikut Mountain Ropeway पर्यटन क्षेत्र विकसित हों। खूबसूरत वादियां पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच ले। पर्यटकों का निरंतर वहां आना जाना लगा रहे तो वह शहर, वह प्रदेश आर्थिक रूप से संबल होने लगता है। किसी प्रदेश या देश का अर्थतंत्र इसी रास्ते सुदृढ़ होकर उसे विकसित बनाने में मददगार होता है।

झारखंड का एकमात्र रोप-वे देवघर के त्रिकुट पर्वत पर है। यह काफी रोमांचकारी था। कारण सतह से 44 डिग्री पर पहाड़ की चोटी से जुड़ा था। दो साल से पर्यटक यहां नहीं आ रहे हैं।

इस बीच सुखद सूचना यह आयी है कि त्रिकुट पर्वत पर अब नया रोप-वे बनेगा। यह विशेषज्ञ की सलाह पर पर्यटन विभाग ने विचार किया है। सरकार इस विचार को फैसले में परिणत करने की तैयारी की रही है। अभी विशेषज्ञों ने बातचीत में अपना पक्ष रखा है, जिसमें रोप-वे के ऑन द स्पॉट निरीक्षण को आधार बताया है।

रोप-वे परिचालन का आधार पीलर कमजोर हो गया- विशेषज्ञ

विशेषज्ञों ने बताया है कि रोप-वे परिचालन का आधार पीलर कमजोर हो गया है। उसके मेटल में दरार आ गई है। तकनीक पुराना हो गया है। वर्तमान में नयी तकनीक आ गई है। पुराने ढांचा को हटाकर नया सेट अप लगाना होगा।

दो साल पहले 2022 की वह दस तारीख थी, तकनीकी खराबी की वजह से परिचालन पर अचानक विराम लग गया था। पर्यटकों को यह खबर सुकून देने वाली होगी कि सरकार इस पुराने ढांचा को हटाकर नया करने के रास्ते पर चलने का मन बना ली है।

पर्यटन विभाग झारखंड में और तीन रोप-वे बनाने के लिए राइटस एजेंसी को सर्वे का काम दिया है, जिसमें रांची के पहाड़ी मंदिर, चतरा के कौलेश्वर पहाड़ और हुंडरू जल प्रपात की खूबसूरत दृश्य को करीब से देखने के लिए रोप वे का स्थल चयन हो चुका है। एजेंसी ने पीपीटी दिखा दिया है। इसमें पहाड़ी मंदिर पर इसी साल रोप वे चालू हो जाएगा। सरकार पहले से इसकी घोषणा कर रखी है।

दस अप्रैल 2022 को रोप वे का शॉफ्ट टूट गया था

दस अप्रैल 2022 को रोप वे का शॉफ्ट टूट गया था, जिसमें कई जिंदगी हवा झूल गयी थी। एक दिन बाद 11 अप्रैल से वायु सेना, आर्मी, आइटीबीपी और एनडीआरएफ ने संयुक्त अभियान चलाया और तीसरे दिन पूराहुआ। इनको स्थानीय जांबाज युवक, जिला प्रशासन की टीम ने पूरा सहयोग किया।

14 घंटा 55 मिनट तक हवा में रेस्क्यू चला था। पहली बार वायु सेना ने हवा में इस तरह का खतरनाक रेस्क्यू किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पर नजर बनाए थे। इस घटना में तीन मौत हो गई थी। वायु सेना के जाबांज जवानों ने जान जोखिम में डालकर टीम वर्क से 46 लोगों को सुरक्षित निकालकर जीवन में खुशियां लौटा दी थी।

विशेषज्ञों ने प्रथम दृष्टया अपनी राय दे दी है। लिखित रूप से उनके रिपोर्ट का इंतजार है। विशेषज्ञों ने बताया है कि वर्तमान में जो रोप वे का ढांचा है, वह अब पुराना हो गया है। नयी तकनीक आ गयी है। अब उसके हिसाब से ही नया सेटअप करना होगा। पुराने ढांचा का मरम्मत संभव नहीं है। पीलर के मेटल के अंदर दरार आ गया है। इस दृष्टि से त्रिकुट पर नया रोप वे ही बनाना होगा।- मनोज कुमार, पर्यटन सचिव।